
अंजली राय, नईदुनिया, भोपाल। महाराष्ट्र और कुछ दक्षिणी राज्यों में क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर हुए अप्रिय विवादों के बीच मध्य प्रदेश में अच्छी पहल की गई है। यहां के विश्वविद्यालयों में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कई क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई शुरू होने जा रही है। प्रदेश के 17 राज्य विश्वविद्यालयों में से 15 में इसकी शुरुआत होगी। मराठी, गुजराती, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, सिंधी, पंजाबी, बांग्ला, असमिया और मणिपुरी भाषा पढ़ाने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
विश्वविद्यालयों ने विद्यार्थियों से मिले फीडबैक के आधार पर इन भाषाओं का चयन किया है। सबसे अधिक चार विश्वविद्यालयों ने मराठी पढ़ाने का निर्णय किया है। उसके बाद तीन गुजराती, तीन सिंधी, दो तमिल, दो कन्नड़, दो तेलुगु, दो पंजाबी और एक-एक विश्वविद्यालय में मलयालम, असमिया, मणिपुरी और बांग्ला की पढ़ाई होगी। भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में तेलुगु भाषा की पढ़ाई शुरू होगी।
वहीं अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय मराठी और कन्नड़ भाषा का पाठ्यक्रम शुरू करेगा। इसे पढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों में अतिथि विद्वानों को रखा जाएगा। अधिकारियों के अनुसार यह पहल क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को समझने और विभिन्न राज्यों के विद्यार्थियों को एक-दूसरे की भाषाओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करने के लिए की गई है।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि भाषा की पढ़ाई डिप्लोमा पाठ्यक्रम के रूप में होगी। यह विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य नहीं होगा। इच्छुक विद्यार्थी किसी भी भाषा का चयन कर सकते हैं। विद्यार्थियों की संख्या आधार पर भाषा विशेषज्ञों को पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी।
मध्य प्रदेश के 15 विश्वविद्यालयों ने विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को शुरू करने की अनुशंसा की है। इससे विद्यार्थी दूसरे प्रदेश की भाषा को भी समझ सकेंगे। - अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा
भाषा जोड़ने का कार्य करती हैं, तोड़ने का नहीं। सभी भारतीय भाषाएं, हमारी अपनी हैं। विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को अपने नियमित पाठ्यक्रम के साथ विभिन्न भारतीय भाषाएं सीखने का अवसर मिलेगा। वे अन्य प्रदेशों मे सहजता से संवाद कर सकेंगे। इस अभिनव पहल के माध्यम से देश के हृदय प्रदेश से, देश भर में एकात्मता का संदेश गुंजायमान होगा। - इन्दर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री, मध्य प्रदेश