
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। सरकारी स्कूल के शिक्षक अब परिसर के अंदर अवारा कुत्तों को आने से भी रोकेंगे। इसके लिए उन्हें नोडल अधिकारी बनाया जा रहा है। हालांकि कई यह काम मुश्किल होगा, क्योंकि प्रदेश के 39 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में बाउंड्रीवाल नहीं है। इन स्कूलों में असामाजिक तत्वों के साथ आवारा पशुओं का भी आना-जाना लगा रहता है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि स्कूल परिसर में आवारा कुत्ते नहीं घुसने चाहिए।
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने दो माह के अंदर सभी स्कूलों में बाउंड्रीवाल या फेंसिंग कराने के निर्देश दिए हैं। लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने कहा कि प्रत्येक स्कूल परिसर में पर्याप्त चारदीवारी, चैनलिंग फेंसिंग सहित अन्य संरचनात्मक उपायों से सुरक्षित हो, जो आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक है। यह कार्य यथाशीघ्र आठ सप्ताह में पूरा किया जाए। बता दें, कि प्रदेश में करीब सवा लाख सरकारी स्कूल संचालित हैं।
स्कूलों में सुरक्षा उपायों के साथ सरकारी चिकित्सालयों में एंटी रेबीज टीके और इम्यूनोग्लोबलिन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और विद्यार्थियों और कर्मचारियों को प्राथमिक उपचार और तत्काल रिपोर्टिंग प्रोटोकाल के प्रति जागरूकता करने को भी कहा गया है। शिक्षक-अभिभावक बैठक में भी इस संबध में उन्हें जागरूक किया जाएगा। प्रत्येक स्कूल में एक शिक्षक को नोडल अधिकारी नामांकित किया जाएगा, जो परिसर के रखरखाव और सफाई संबंधी व्यवस्थाओं के प्रभारी होंगे।
स्कूलों को यह भी निर्देशित किया गया है कि मध्याह्न भोजन वितरण के बाद शेष बचा हुआ भोजन सुरक्षित स्थान पर फेंका जाए, ताकि कुत्ते स्कूल परिसर में प्रवेश न करें। इसके लिए विकासखंड शिक्षा अधिकारी और विकासखंड स्त्रोत समन्वयक नोडल अधिकारी (बीआरसीसी) रिपोर्ट तैयार करेंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी भोपाल में पहली से आठवीं तक के स्कूलों की संख्या 725 है। वर्ष 2024-25 में जिले के 135 स्कूलों में बाउंड्रीवाल नहीं थी। वर्ष 2025-26 में यह संख्या बढ़ गई और अब 163 स्कूलों में बाउंड्रीवाल नहीं है। बाउंड्रीवाल नहीं होने से बच्चे खेल-खेल में खतरनाक जगहों पर पहुंच सकते हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है। वहीं स्कूल परिसरों में आवारा जानवर घूमते हैं, जिससे बच्चे असुरक्षित महसूस करते हैं।