MP में 50 हजार कर्मचारियों ने छह महीने से नहीं ली सैलरी, कहां गायब हो गए ये इसकी जांच में जुटी सरकार
मध्य प्रदेश में लगभग 50 हजार अधिकारी-कर्मचारी छह माह से वेतन नहीं ले रहे हैं। कोषालय रिकॉर्ड में दर्ज होने के बावजूद वेतन आहरण नहीं हुआ। वित्त विभाग ने DDO से रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस ने इसे 12,500 करोड़ रुपये का घोटाला बताया और प्रशासनिक अराजकता पर सवाल उठाए हैं।
Publish Date: Fri, 06 Jun 2025 08:50:50 PM (IST)
Updated Date: Fri, 06 Jun 2025 08:50:50 PM (IST)
कांग्रेस ने लगाया 12,500 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप। (फाइल फोटो)HighLights
- 50 हजार कर्मचारी छह माह से वेतन नहीं ले रहे
- वित्त विभाग ने कोषालय से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
- IFMS प्रणाली में दर्ज हैं सभी कर्मचारी कोड
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है। प्रदेश में नियमित और अस्थायी मिलाकर करीब 50 हजार अधिकारी-कर्मचारियों का वेतन बीते छह माह से कोषालय से आहरित नहीं हुआ है।
ये सभी कर्मचारी दिसंबर 2024 से वेतन नहीं ले रहे, जबकि इनका रिकॉर्ड कोषालय में मौजूद है और प्रत्येक को कर्मचारी कोड आवंटित है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ये कर्मचारी आखिर कहां हैं और क्या कार्य कर रहे हैं?
इस संदर्भ में आयुक्त कोष एवं लेखा भास्कर लक्षकार ने सभी छह हजार आहरण एवं संवितरण अधिकारियों (DDO) से रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट 15 जून तक जिला कोषालयों के माध्यम से एकत्र की जाएगी, जिससे यह स्थिति स्पष्ट होगी कि इन कर्मचारियों के वेतन आहरण में देरी के पीछे क्या कारण हैं।
आखिर क्यों नहीं निकला वेतन?
- वित्त विभाग की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) में सभी कर्मचारियों का विवरण डिजिटल रूप में दर्ज है। हर कर्मचारी का वेतन उनके आधार से लिंक बैंक खाते में सीधे अंतरित होता है। जब दिसंबर 2024 के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि लगभग 50 हजार कर्मचारियों का वेतन आहरित ही नहीं हुआ है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह अनियमितता नहीं बल्कि तकनीकी या प्रशासनिक कारण हो सकते हैं। कई कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं, कुछ सेवानिवृत्त हो चुके होंगे, निलंबन अवधि या मृत्यु जैसी स्थितियों में भी वेतन नहीं बनता। फिर भी, इन सभी तथ्यों का अद्यतन होना आवश्यक है, ताकि भविष्य में भ्रम या घोटाले की स्थिति उत्पन्न न हो। सुनियोजित घोटाले का आरोप
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस पूरे मामले को सुनियोजित वेतन घोटाला करार दिया है। उन्होंने कहा कि 50 हजार कर्मचारियों का वेतन नहीं निकलना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर संकेत है। उनके अनुसार, छह माह से लगभग 250 करोड़ रुपये का वेतन लंबित है और अगर पूर्व की स्थिति भी देखी जाए, तो यह राशि 12,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
- पटवारी ने आरोप लगाया कि कहीं न कहीं कर्मचारियों के नाम पर घोटाला किया गया है। हो सकता है कि ऐसे नामों के आधार पर भुगतान की प्रक्रिया चालू हो, जिनकी सेवा समाप्त हो चुकी है या जो अस्तित्व में ही नहीं हैं।
प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरू
- आयुक्त कोष एवं लेखा ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए तुरंत सभी DDO से रिपोर्ट तलब की है। अब प्रत्येक जिला कोषालय अपने क्षेत्र के कर्मचारियों की वास्तविक स्थिति की जांच करेगा और इस बारे में रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेजेगा।
वित्त विभाग का यह भी कहना है कि एकीकृत प्रणाली का यही लाभ है कि इस प्रकार के डेटा की निगरानी संभव है। हालांकि, इस प्रकार की स्थिति प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल जरूर खड़े करती है।