
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में प्राध्यापकों के 55 प्रतिशत पद खाली हैं। उनकी जगह पर अतिथि विद्वानों को रखकर पढ़ाई कराई जा रही है। तीन साल पहले मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 1669 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन सभी को नियुक्ति नहीं दी जा सकी है। इस बीच 535 सहायक प्राध्यापकों को दस्तावेज सत्यापन के बाद नियुक्ति पत्र दिया जा चुका है। इनकी वजह से महाविद्यालयों में काम कर रहे इतने ही अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर कर दिया गया है।
अब ऐसे अतिथि विद्वानों को दूसरे कॉलेज में प्राथमिकता देने का फैसला हुआ है। उच्च शिक्षा परिषद की बैठक में विभागीय मंत्री इन्दर सिंह परमार ने नियमित भर्तियों एवं स्थानांतरण की वजह से सेवा से बाहर हुए अतिथि विद्वानों को हर महीने दो बार विकल्प चुनने का मौका देने का निर्देश दिया है। अब महाविद्यालयों को पोर्टल पर खाली पदों की जानकारी तत्काल अपलोड करनी होगी।
उच्च शिक्षा विभाग ने बीच सत्र में करीब 550 प्राध्यापकों का स्थानांतरण कर दिया है। इससे कॉलेजों में न सिर्फ पढ़ाई पर असर पड़ेगा ही, बल्कि अतिथि विद्वानों को भी बाहर होना पड़ा है। वहीं कॉलेजों में अकादमिक कैलेंडर के अनुसार जुलाई से सत्र की शुरुआत हो गई थी। इसके बाद छह सितंबर तक प्रवेश प्रक्रिया चली थी। ऐसे में बीच सत्र में स्थानांतरण होने से संबंधित कॉलेजों की अकादमिक व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा।
वहीं विभाग ने बीते बुधवार को प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उन्नयन किए गए कॉलेजों और पूर्व से संचालित ऑटोनॉमस कॉलेजों में इंटरव्यू के माध्यम से चयनित प्राध्यापकों का स्थानांतरण किया है। इस कारण कालेजों में स्थानांतरण से खाली पदों को भरने के लिए अतिथि विद्वानों को पदस्थ करना जरूरी है।
अब अतिथि विद्वानों को हर माह में दो बार च्वाइस फिलिंग का मौका दिया जाएगा। जल्द ही पोर्टल पर रिक्त पदों की जानकारी दी जाएगी। धीरेंद्र शुक्ला, विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी, उच्च शिक्षा।