युवक की आंख में घुसा एक सेंटीमीटर का पैरासाइट, डॉक्टरों ने दुर्लभ सर्जरी कर निकाला जीवित परजीवी
यह कीड़ा पकड़ने से बचने की कोशिश करता है। इससे सर्जरी और भी मुश्किल हो जाती है। इसे सुरक्षित रूप से निकालने के लिए लेजर-फायर तकनीक का उपयोग किया। इससे परजीवी को बिना आसपास की नाजुक रेटिना संरचनाओं को नुकसान पहुंचाए निष्क्रिय कर दिया गया।
Publish Date: Sat, 15 Feb 2025 09:44:14 PM (IST)
Updated Date: Sun, 16 Feb 2025 07:21:06 AM (IST)
एम्स के डॉक्टरों ने की संवेदनशील सर्जरी। - सांकेतिक तस्वीर।HighLights
- उनकी आंख के कांचीय द्रव (विट्रियस जेल) में एक जीवित परजीवी कीड़ा पाया गया।
- सर्जरी के बाद मरीज अब स्वस्थ हो रहा है और जल्द ही उसकी दृष्टि में सुधार होगा।
- एम्स के नेत्र विभाग के रेटिना सर्जन ने की सफल सर्जरी। कहा-बहुत दुर्लभ केस है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। एक युवक की आंख में एक सेंटीमीटर का जीवित पैरासाइट या परजीवी घुस गया था। इससे युवक के आंखों में लाली आ गई। उसकी दृष्टि भी कमजोर होने लगी थी। जब मरीज ने एम्स भोपाल के नेत्र विभाग में दिखाया तो डाॅक्टरों ने उसे स्टेराॅयड आई ड्राॅप्स व टैबलेट्स खाने के लिए कहा। इससे उसे कुछ दिन के लिए राहत मिली। बाद में उसकी दृष्टि अधिक तेजी से कमजोर होने लगी। दवाएं देने के बाद भी राहत नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने उसके आंखों की विस्तृत जांच की। इसमें उनकी आंख के कांचीय द्रव (विट्रियस जेल) में एक जीवित परजीवी कीड़ा पाया गया। सर्जरी के बाद 35 वर्षीय मरीज अब स्वस्थ हो रहा है और जल्द ही उसकी दृष्टि में सुधार होगा।
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एम्स के नेत्र विभाग के रेटिना सर्जन डाॅ. समेंद्र करखुर ने की सफल सर्जरी
- मुख्य रेटिना सर्जन डाॅ. समेंद्र करखुर ने बताया कि आंख से एक बड़े जीवित परजीवी को निकालना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है।
- परजीवी को निष्क्रिय करने के बाद इसे विट्रियो-रेटिना सर्जरी तकनीक का उपयोग करके सफलतापूर्वक हटा दिया गया।
- डाॅ. समेंद्र ने कहा इस परजीवी की पहचान ग्नाथोस्टोमा स्पिनिजेरम के रूप में हुई, जो आंख के अंदर बहुत ही दुर्लभ रूप से पाया जाता है।
- अब तक भारत में सिर्फ दो से तीन मामलों में ही इस परजीवी लार्वा के आंख के विट्रियस कैविटी (कांचीय द्रव) में पाए जाने की रिपोर्ट दर्ज हुई है।
- नाॅनवेज खाने के दौरान जीवित पैरासाइट व परजीवी घुस जाता है और शरीर में सुरक्षित स्थान पर बैठ जाता है। ऐसा जब ही होता है, जब नाॅनवेज ठीक से पक नहीं पाता।