Acharya VidyaSagar: तीन बार भोपाल आए थे आचार्य विद्यासागर, वर्ष 2016 में किया था चातुर्मास
राष्ट्र संत आचार्यश्री विद्यासागर ने डोंगरगढ़ में त्यागा शरीर। उन्हीं की प्रेरणा से हबीबगंज एमपी नगर जोन-दो के सामने बन रहा भव्य जैन मंदिर।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 18 Feb 2024 02:24:38 PM (IST)
Updated Date: Sun, 18 Feb 2024 02:24:38 PM (IST)
HighLights
- वर्ष 2002 में आचार्य विद्यासागर महाराज का पहली बार हुआ था भोपाल आगमन।
- इसके बाद वह 2003 में भी भोपाल आए थे।
- आचार्यश्री सभी से कहते थे कि अपने देश को इंडिया नहीं, भारत ही बोला जाए।
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर ने छत्तीसढ़ के डोंगरगढ़ में अपना शरीर त्याग दिया। उन्होंने शनिवार-रविवार के मध्य 2:35 बजे समाधि ली। उनके ब्रह्मलीन होने की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। भोपाल में भी श्री दिगंबर जैन समाज के लोगों सहित अन्य समाज के लोग भी आचार्यश्री को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। आचार्यश्री का भोपाल में तीन बार आना हुआ। वह वर्ष 2000 में पहली बार भोपाल पधारे थे। तब वह टीटी नगर जिनालय के पंचकल्याणक महोत्सव में आए थे। इसके बाद वर्ष 2003 में उनका भोपाल आगमन हुआ। 20 दिन के प्रवास में उन्होंने शहरवासियों को धर्म के बारे में विस्तार से बताया। नई पीढ़ी से अपील की कि वे नशा न करें। इंडिया नहीं, अपने देश को भारत कहें। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें।
पीएम मोदी ने भी लिया थी आशीर्वाद
इसके बाद आचार्यश्री विद्यासागर का वर्ष-2016 में एमपीनगर जोन-दो हबीबगंज श्री आदिनाथ जिनालय में चातुर्मास हुआ। इस दौरान आचायश्री से मिलने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत प्रदेश व देश से बड़ी संख्या में गणमान्य लोग आए। आचार्यश्री सभी से कहते थे कि देश को इंडिया नहीं, भारत ही बोला जाए। नई पीढ़ी को यह बात बताने की जरूरत है। अभिभावक नई पीढ़ी को बताएं। आचार्यश्री विद्यासागर ने मूक माटी महाकाव्य की रचना की।
आचार्यश्री की प्रेरणा से बन रहा भव्य मंदिर
आचार्यश्री को सुनने भोपाल में बड़ी संख्या में आए थे। वो आदिनाथ श्री दिगंबर जैन मंदिर से सुबह-सुबह हर दिन टहलने जेल रोड तक आते थे। भोपाल के प्राकृतिक सौंदर्य की उन्होंने प्रशंसा की थी। साथ ही भोपाल में हो रहे विकास कार्यों पर कहा था कि पर्यावरण का संरक्षण का ध्यान देना चाहिए। हमें जंगल बचाने की जरूरत है। आचार्यश्री की प्रेरणा से आज हबीबगंज जैन मंदिर भव्य रूप ले रहा है। 100 करोड़ रुपये से जैन मंदिर का निर्माण हो रहा है, जो पूरे देश का प्रमुख मंदिरों में शामिल होगा।