Acharya Vidyasagar Maharaj: जैन संत विद्यासागर महाराज ने ली समाधि, पढ़ें पीएम मोदी और एमपी के सीएम मोहन यादव ने क्या कहा
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि आचार्य विद्यासागर जी का मध्य प्रदेश के प्रति विशेष स्नेह रहा है।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 18 Feb 2024 09:52:28 AM (IST)
Updated Date: Sun, 18 Feb 2024 12:31:58 PM (IST)
पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर विद्यासागर महाराज के साथ ली गई तस्वीर साझा कीभोपाल। जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने शनिवार-रविवार की दरमियानी रात 2.30 बजे संल्लेखना पूर्वक समाधि (देह त्याग) ले ली है। छत्तीसगढ के डोंगरगढ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके चिर समाधि में लीन होने की खबर से उनके करोड़ों अनुयायियों में शोक की लहर है। आचार्य विद्यासागर महाराज के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी। तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था। समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।’
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंटरनेट मीडिया के उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके देवलोकगमन को संपूर्ण मानव जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
आचार्य के सद्कार्य सदैव प्रेरित करते रहेंगे
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि आचार्य विद्यासागर जी का मध्य प्रदेश के प्रति विशेष स्नेह रहा है। मध्य प्रदेश वासियों को उनका भरपूर आशीर्वाद मिला। उनके सद्कार्य सदैव प्रेरित करते रहेंगे। आध्यात्मिक चेतना के पुंज, विश्व वंदनीय संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। आचार्यजी का संयमित जीवन और विचार हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे।
दो दिन से अन्न-जल त्याग दिया था
बता दें कि आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले दो दिन से उन्होंने अन्न-जल का पूरी तरह त्याग कर दिया था। आचार्यश्री अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया। समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज संघ सहित उपस्थित थे।