नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे साल भर चलाया गया 'कॉलेज चलो' अभियान उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया, जिसकी उम्मीद की गई थी। प्रोफेसर स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को जागरूक करते रहे, योजनाएं बनीं, काउंसलिंग हुई, लेकिन नतीजा यह रहा कि यूजी और पीजी में आधी से ज्यादा सीटें अब भी खाली पड़ी हैं।
मध्यप्रदेश में कॉलेज स्तर की उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाएं असरदार साबित नहीं हो रही हैं। ‘कॉलेज चलो अभियान’ के तहत शिक्षकों ने स्कूलों में जाकर 12वीं के विद्यार्थियों को कॉलेज शिक्षा के लिए प्रेरित किया, लेकिन इसके बावजूद यूजी (UG) और पीजी (PG) में नामांकन का आंकड़ा उम्मीद से बेहद कम है।
राज्य के स्नातक (UG) कॉलेजों में इस सत्र में कुल 5.55 लाख सीटें उपलब्ध हैं, जिनमें अभी तक केवल 2.40 लाख सीटों पर ही छात्रों का प्रवेश हुआ है। यानी करीब 3.15 लाख सीटें अब भी खाली हैं। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि छात्रों में कॉलेज शिक्षा को लेकर अब पहले जैसा आकर्षण नहीं रह गया है, या फिर योजना की क्रियान्वयन में कहीं ना कहीं चूक हुई है।
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से यूजी में सीटों को भरने के लिए अतिरिक्त कॉलेज लेवल काउंसलिंग (CLC) चरण की शुरुआत की गई थी, लेकिन इसका भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिला। अब विभाग 31 जुलाई तक ओपन सीएलसी (Open CLC) प्रक्रिया के तहत सीटें भरने की कोशिश कर रहा है। रोजाना रिक्त सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जा रही है, और छात्र कॉलेज जाकर सीधे प्रवेश ले सकते हैं।
प्रवेश प्रक्रिया के तहत विद्यार्थी को रोजाना दोपहर 3 बजे तक पंजीयन कराना होता है, 4 बजे तक हेल्प सेंटर पर पहुंचकर दस्तावेज सत्यापन कराना होता है और शाम 5 बजे मेरिट सूची जारी होती है। यदि किसी विद्यार्थी ने 24 घंटे में फीस जमा नहीं की, तो उसका प्रवेश निरस्त कर दिया जाता है, और फिर उसे प्रक्रिया दोबारा से करनी होती है।
वहीं, स्नातकोत्तर (PG) स्तर पर भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। प्रदेश में 1.95 लाख पीजी सीटों में से अब तक सिर्फ 80 हजार सीटों पर ही प्रवेश हुए हैं। करीब 1.15 लाख सीटें अब भी रिक्त हैं। इस स्थिति को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि विभाग को एक और काउंसलिंग राउंड आयोजित करना पड़ सकता है।