नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। एम्स भोपाल ने मध्य प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार टीएमएस थेरेपी शुरू की है। यह तकनीक खासकर उन मरीजों के लिए उपयोगी है, जो लंबे समय से कमर दर्द या क्रानिक लो बैक पेन से परेशान हैं। इस तरीके से मरीजों को बिना सर्जरी के लंबे समय तक दर्द से राहत मिल सकती है और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी आसान हो सकती है।
एम्स भोपाल के फिजियोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. डॉ. संतोष वाकोड़े ने बताया कि टीएमएस थेरेपी पूरी तरह गैर-आक्रामक है। इसमें मस्तिष्क और नसों के नेटवर्क को चुंबकीय तरंगों से सक्रिय किया जाता है। यह मांसपेशियों और नसों की गतिविधियों को बेहतर बनाता है, जिससे दर्द कम होता है और मरीज आसानी से चल-फिर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक पुराने दर्द के इलाज में नई उम्मीद देती है और सर्जरी की जरूरत को काफी हद तक घटा सकती है।
इस परियोजना के तहत एम्स भोपाल में मध्य प्रदेश की पहली सरकारी टीएमएस लैब बनाई गई है। यह राज्य के मरीजों को आधुनिक और सुरक्षित इलाज का विकल्प देती है। डॉ. वाकोड़े ने बताया कि भविष्य में इस तकनीक को और मरीजों तक पहुंचाने की योजना है। इसके साथ ही इसे अन्य न्यूरोलाजिकल समस्याओं में भी इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि टीएमएस थेरेपी से पुराने कमर दर्द वाले मरीजों की जिंदगी में सुधार आएगा और उन्हें दिनचर्या में आसानी होगी। इस तकनीक के जरिए मरीजों को केवल दर्द से राहत ही नहीं मिलेगी, बल्कि मांसपेशियों और नसों की कार्यक्षमता में भी सुधार होगा। इसके अलावा चूंकि यह सर्जरी नहीं है, इसलिए मरीजों को ऑपरेशन और उसकी जटिलताओं का डर नहीं रहेगा।