नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। एम्स भोपाल ने दिल की बीमारी के इलाज में बड़ा कीर्तिमान बनाया है। यहां के डाक्टरों ने पहली बार हाइब्रिड कवर स्टेंट की मदद से साइनस वेनोसस एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) का सफल आपरेशन किया। यह बीमारी बेहद दुर्लभ होती है और इसमें दिल की नसों में छेद रह जाता है। उत्तर भारत के गिने-चुने अस्पताल ही इस तकनीक से इलाज कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह सुविधा एम्स भोपाल में शुरू हो गई है। इससे प्रदेश के मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। यहां अब ऐसे दुर्लभ और जटिल मामलों का भी इलाज संभव हो सकेगा।
डाॅक्टरों के अनुसार, मरीज की स्थिति चुनौतीपूर्ण थी। उसके दिल में एक अतिरिक्त नस थी, जिसे किसी भी हालत में बंद नहीं होना चाहिए था। इसके लिए डाॅक्टरों ने खास स्टेंट का इस्तेमाल किया। इस स्टेंट का एक हिस्सा ढका हुआ और दूसरा खुला होता है। इसे बड़ी सावधानी से फिट किया गया और बैलून की मदद से दिल की नस में सही जगह बैठा दिया गया। इससे खून का गलत बहाव रुक गया और मरीज की नस सुरक्षित रही।
इस प्रक्रिया की सबसे खास बात यह रही कि आरए–एसवीसी जंक्शन पर बैलून से स्टेंट को फैलाकर फिट किया गया। यह तरीका अब तक कहीं दर्ज नहीं किया गया है। डाक्टरों ने बताया कि इलाज पूरी तरह सफल रहा। अब मरीज की अतिरिक्त नस से खून का बहाव बिना किसी रुकावट के सीधे बाएं हिस्से में पहुंच रहा है और दिल सामान्य रूप से काम कर रहा है।
हमारे डाॅक्टरों की टीम ने जटिल और दुर्लभ हृदय रोग का इलाज हाइब्रिड स्टेंट तकनीक से सफलतापूर्वक किया। इस सुविधा के शुरू हो जाने से प्रदेश के मरीजों को अब दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं होगी। एम्स भोपाल में ही उच्च स्तरीय और आधुनिक तकनीक से इलाज संभव होगा। आने वाले समय में हम और भी जटिल मामलों का इलाज यहीं करने का प्रयास करेंगे।
- प्रो. माधवानंद कर, डायरेक्टर, एम्स भोपाल।