- कहीं और नहीं मिलती उर्दू सहित अन्य भाषाओं की बेशकीमती किताबें
- अब तक चार बार हुई शिफ्टिंग, शिक्षा विभाग की ग्रांट का अता-पता नहीं
भोपाल(सुशील पाण्डेय)। उर्दू नज्मों, शायरों, उर्दू साहित्य और यहां तक कि इस्लाम के ग्रंथ कुरान शरीफ समेत संस्कृत, फारसी और हिंदी साहित्य का खजाना इकबला लाइब्रेरी में 150 लाख से ज्यादा किताबें हैं। भोपाल के दिल इकबाल मैदान में स्थित यह लाइब्रेरी भोपाल या मध्यप्रदेश के साथ साथ पूरी दुनिया की शान है। भोपाल की सबसे पुरानी लाइब्रेरी प्रशासन की अनदेखी के कारण बदहाली के आंसू बहा रही है। अप्रैल बीतने वाला है और प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग से मिलने वाली 2019 की सालाना 68 हजार की ग्रांट आज तक नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है कि यह राशि जल्द मिल जाएगी। लाइब्रेरी को उर्दू अकादमी से 30 हजार रुपए की सालाना ग्रांट हर साल मिलती है, जो इस साल भी मिल गई है।
30 फीसदी किताबों को नुकसान
लाइब्रेरी के सेके्रटरी और लेखक रशीद अंजुम ने बताया कि 1 अक्टूबर 1929 को स्थापित यह अविभाजित हिंदुस्तान की पहली लाइब्रेरी थी। वर्तमान में यह इकबाल मैदान के बेसमेंट में संचालित है, जहां बारिश के सीजन में पानी भर जाता है। 26 अगस्त और एक सितंबर 2017 को आई बाढ़ में लाइब्रेरी की किताबें, फर्नीचर, कंप्यूटर और अन्य सामग्री नष्ट हो गई थी। 15 हजार बेशकीमती किताबों को तो फेंकना पड़ा था। इसके बाद संस्कृति विभाग ने सितंबर में ही लाइबे्ररी टीवी अस्पताल के पास गैस राहत की बिल्डिंग में शिफ्ट कराई गई थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2019 में वह भवन खाली करा लिया गया और हम लौट के वापस इकबाल मैदान आ गए। ऑर्कियोलॉजिस्ट,आर्काइव और म्यूजियम एक्सपर्ट का कहना है कि समय रहते उचित कदम न उठाया तो 70 फीसदी किताबें और अन्य ऐतिहासिक गाथाएं सुनातीं पाठ्य सामग्री नष्ट हो सकती है। सरकार को इस लाइब्रेरी को शिफ्ट करने के साथ इन किताबों और अन्य पाठन सामग्री को सुरक्षित रखने के उपाय करने चाहिए।
12 हजार मासिक खर्च
रशीद अंजुम ने बाताया कि लाइबे्ररी में पांच लोगों का स्टाफ है। उनके वेतन, बिजली बिल और पत्र-पत्रिकाओं के बिल आदि पर हर माह 12 हजार रुपए का खर्च आता है, जो कि मैं मेंबरशिप की फीस, ग्रांट, डोनेशन और खुद के पैसों से मैनेज करता हूं। कुछ संस्थाएं किताब जरूर उपलब्ध करा देतीं हैं कभी-कभार। अंजुम ने बताया कि वे कोई मानदेय नहीं लेते हैं।
इन किताबों का खजाना
वर्तमान में उर्दू, हिंदी, फारसी, संस्कृत और अंग्रेजी विषय की 70 हजार किताबें इस लाइब्रेरी में मौजूद हैं। इन्हें पढ़ने के लिए स्टूडेंट्स के साथ ही बुजुर्गों का एक बड़ा वर्ग यहां आता है। लाइब्रेरी में एक साथ 50 लोग एक साथ बैठकर पठन-पाठन कर सकते हैं।
फैक्ट फाइल
- शायर अल्लामा इकबाल नाम पर स्थापित है इकबाल लाइब्रेरी।
- उनके इंतकाल के डेढ़ साल बाद एक अक्टूबर 1939 को स्थापना हुई।
- इस लाइब्रेरी के संस्थापक शहीद आसिफ शाहमीरी साहेब हैं।
- सबसे पहले ये लाइब्रेरी यूनानी सफाखाने के एक कमरे में शुरू की गई थी।
- 1950 में इसे इब्राहीमपुरा की एक छोटी सी बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया।
- 10 नवम्बर 2001 को इकबाल मैदान में शिफ्ट कर दिया गया।
- लाइब्रेरी में पुराने दौर के फोटोज का कलेक्शन भी है।
- रोजाना शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक लाइब्रेरी खुलती है।
- लॉकडाउन के इस दौर में यह लाइब्रेरी भी वर्तमान में बंद है।