नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। सूखी सेवनिया स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना 2011 में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन हिंदी में ही विद्यार्थियों की संख्या कम है। सत्र 2025-26 में एमए हिंदी पाठ्यक्रम में सिर्फ चार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। वहीं, पीजी के नौ, यूजी के दो और सर्टिफिकेट व डिप्लोमा के सात पाठ्यक्रम में शून्य प्रवेश हुए हैं। हालांकि, विवि में सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। शिक्षकों के वेतन पर भी लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं।
अक्टूबर 2020 में करीब पांच करोड़ रुपये से बने नवनिर्मित भवन में विश्वविद्यालय शिफ्ट हुआ है, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या नहीं बढ़ रही है। इस साल विवि में 1800 सीटों पर 174 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। वहीं, 2023 में 13 नियमित शिक्षकों की भर्ती हुई है, जिनका वेतन करीब एक लाख रुपये तक है। साथ ही 22 अतिथि विद्वान पदस्थ हैं, जिन्हें प्रत्येक को करीब 33 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का भुगतान किया जाता है। विवि में अब नियमित शिक्षकों के साथ दो छात्रावास और विद्यार्थियों के लिए बस सुविधा भी शुरू कर दी गई है। फिर भी विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है।
पीजी के 27 पाठ्यक्रम में 63 और यूजी के 11 पाठ्यक्रम में 99 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। वहीं, 13 सर्टिफिकेट व डिप्लोमा पाठ्यक्रम में 12 प्रवेश हुए हैं। इस साल 174 सीटों पर प्रवेश हुए हैं।
पीजी पाठ्यक्रमों में एमए (अर्थशास्त्र), एमए (इतिहास), एमए (भूगोल), एमएससी (गणित), एमएससी (पर्यावरण), एमएफएससी, एमकाम, एमबीए, गाइडेंस एंड काउंसलिंग में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। वहीं, यूजी में बीए योग और बीएससी (आधारभूत विज्ञान) और सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में पंचकर्म, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, मत्स्य एवं मात्स्यिकी, नाट्यशास्त्र एवं रंगमंच, लोकसंगीत, डीसीए और पीजीडीसीए में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है। वहीं, 11 पाठ्यक्रम में सिर्फ एक विद्यार्थी ने प्रवेश लिया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आगामी सत्र में विवि में कुछ नए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को हिंदी में शुरू किया जाएगा। इसके अलावा अधूरे छात्रावास और बस सुविधा के लिए शासन को पत्र लिखकर बजट की मांग की है। जिससे विद्यार्थियों की संख्या बढ़े। - देव आनंद हिंडोलिया, कुलगुरु, हिंदी विवि