नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: बस्तियों में आयुष्मान कार्ड बनाने की आड़ में लोगों के दस्तावेजों पर सिमें एक्टिवेट करने के मामले में पुलिस की जांच अब अंधे मोड़ पर आ खड़ी हुई है, क्योंकि आयुष्मान कार्ड के फर्जी कैंप लगाने से लेकर सिमें एक्टिवेट कर साइबर ठगों को बेचने वाला मुख्य आरोपित खुदकुशी कर चुका है। ऐसे में साइबर ठगी के मास्टरमाइंड आरोपितों तक पुलिस का पहुंचना अब मुश्किल साबित हो रहा है। दरअसल पिछले महीने पुलिस ने पूरे मध्यप्रदेश में साइबर ठगों की धरपकड़ के लिए विशेष अभियान चलाया था।
इसी अभियान के तहत भोपाल में फर्जी सिम एक्टिवेट कर साइबर ठगों को बेचने के मामले में केस दर्ज किया। इस प्रकरण में जांच करते हुए पुलिस ने फर्जी सिमों के एक्टिवेशन के लिए उपयोग की गईं लूप सिम के आपरेटरों को तो गिरफ्तार कर लिया है। वहीं जब उनसे लूप सिम लेने वाले आरोपित को लेकर पूछताछ की गई तो उन्होंने जिस आरोपित का नाम पुलिस को बताया, वह एक महीने पहले ही खुदकुशी कर चुका है। ऐसे में पुलिस की जांच की कड़ी टूट गई है।
क्राइम ब्रांच अंतर्गत साइबर सेल पुलिस के अनुसार हबीबगंज के श्यामनगर मल्टी और गांधीनगर क्षेत्र की बस्तियों के लोगों के नाम पर एक्टिवेट सैकड़ों सिमें साइबर ठगी में उपयोग की गई थीं। पुलिस ने जब क्षेत्रों में जाकर जांच शुरू कि तो मालूम हुआ कि अगस्त में वहां आयुष्मान कार्ड बनवाने का कैंप लगाया गया था। कैंप लगाने वालों ने सैकड़ों लोगों के दस्तावेज और मशीन पर फिंगरप्रिंट लिए। उन्होंने एक सप्ताह के भीतर आयुष्मान कार्ड घर पर पहुंचने का वादा किया था। साथ ही फीस के रूप में 50-50 रुपये भी वसूले थे।
पुलिस की पूछताछ के बाद वहां के लोगों ने साइबर सेल में शिकायत की थी, जिसपर अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। पुलिस के अनुसार जांच के दौरान सिम एक्टिवेशन के लिए उपयोग लूप सिमें करोंद निवासी मानसिंह और कुलदीप साहू के नाम पर जारी की गई थीं। पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया। वहीं जब पूछताछ की गई तो उन्होंने निशातपुरा क्षेत्र निवासी सुमेर सिसौदिया के नाम का खुलासा किया। पुलिस ने हबीबगंज और गांधीनगर की बस्तियों में दोबारा जाकर उसकी पुष्टि की।
पुलिस जब सुमेर के पते पर पहुंची तो पता चला कि उसने पिछले महीने साइबर ठगों को सिमें बेचने के बाद ही फांसी लगा ली थी। इस मामले में निशातपुरा पुलिस जांच कर रही है। लेकिन अब इस केस की जांच की कड़ी टूट चुकी है और पुलिस अन्य माध्यमों से आरोपितों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच, शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आरोपित की मौत के बाद अब जांच की अगली कड़ी जोड़ना मुश्किल साबित हो रहा है, लेकिन मुख्य आरोपित तक पहुंचने के लिए पुलिस अन्य स्त्रोत की तलाश कर रही है।
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