- करोड़ों का खर्च, फिर भी नहीं हो पा रहा बच्चों के अधिकारों का संरक्षण
-एक साल में 300 मामलों में अनुशंसा पर अमल सिर्फ 50 में हुआ
भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि
बच्चों के अधिकारों और संरक्षण के लिए बने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में फोन पर निःशुल्क शिकायत करने की सुविधा नहीं है। यहां टोल फ्री नंबर नहीं होने से पीड़ित बच्चे शिकायत सीधे आयोग में नहीं कर सकते। इसके लिए उन्हें चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर पर फोन करना होगा, जबकि अन्य राज्यों के बाल आयोग में टोल फ्री नंबर दिया गया है। यह नंबर इसलिए जारी किया जाता है, ताकि बच्चे आयोग के समक्ष बिना किसी भय के शिकायत कर सकें। वहीं बाल आयोग बच्चों का संरक्षण करने में भी नाकाम हो रहा है। बीते एक साल में आयोग द्वारा बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर 300 से ज्यादा मामलों में संज्ञान लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से पत्राचार, निर्देश व अनुशंसाएं की गई हैं, लेकिन अमल सिर्फ 50 से 60 मामलों में ही हुआ।
सरकार ने नहीं दी सुविधा
बाल आयोग के अध्यक्ष डा. राघवेन्द्र शर्मा कहते हैं कि सरकार की ओर से आयोग को कोई टोल फ्री नंबर नहीं दिया गया है। इसके लिए अलग से तीन सदस्यों की टीम चाहिए और 24 घंटे कार्यालय खुला हो। जब टोल फ्री नंबर जारी होगा, तब इसकी समीक्षा करेंगे।
वेतन-मानदेय और भत्तों पर करोड़ों खर्च
आयोग में अध्यक्ष, चार सदस्य, सचिव, उपसचिव, अवर सचिव, प्रशासनिक अधिकारी, निज सहायक, सहायक लेखा अधिकारी सहित दो दर्जन से ज्यादा स्टाफ है। सूत्रों के मुताबिक इनके वेतन और भत्तों पर सलाना करीब एक करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
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आयोग की इन प्रमुख अनुशंसाओं पर नहीं हुआ अमल
- पंचायत क्षेत्रों में ऐसे प्रत्याशियों को पंचायत का चुनाव लड़ने के आयोग्य घोषित किया जाए, जो अपने 8 से 14 वर्ष के बच्चों को स्कूल पढ़ने नहीं भेज रहे हैं।
- प्रदेश के करीब 70 हजार स्कूलों में बिजली, सीवेज, फर्नीचर आदि की सुविधा नगरीय निकायों द्वारा शिक्षा उपकर और पंचायत की राशि से की जाए।
- प्री-नर्सरी और प्ले स्कूल संचालन के नियम बनाए जाएं।
- हिंसा से पीड़ित जरूरतमंद और संरक्षण वाले बच्चों के लिए वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर जैसी सुविधा की व्यवस्था करना।
- स्कूल बसों में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन कड़ाई से कराया जाए।
- बाल विवाह रोकने कड़ाई से विशेष अभियान चलाया जाए।
- सभी बाल आश्रय गृहों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाया जाए।
- जिन जिलों में बालगृह नहीं हैं, वहां खोला जाए।