भोपाल(नवदुनिया रिपोर्टर)। मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल की राजभाषा कार्यांवयन
समिति द्वारा आयोजित महोत्सव 'तूर्यनाद' के पांचवें दिन अतिथि व्याख्यान में कमलेश कमल ने अपने विचार रखे। हिंदी काव्य के अतिरिक्त हिंदी व्याकरण की गहन समझ रखने वाले कमलेश कमल कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादन से जुड़े हैं और राष्ट्रवादी संघ के लेखक हैं। कमलेश भारत सरकार के गृह मंत्रालय विभाग में कार्यरत हैं।
हिंदी भाषा के शब्दों व व्याकरण का तकनीकी विश्लेषण विषय पर उन्होंने कई महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थों के बारे में जानकारी दी जो इस प्रकार है।
आरंभ-प्रारंभः किसी कार्य का शुरुआत करना आरंभ है परंतु कोई विशेष आरंभ/ घटना , प्रारंभ कहलाती है।
अंतर-भेदः भेद आंतरिक होता है जबकि अंतर बाह्य वस्तुओं में विभेदन से संबंधित होता है।
अंत- समाप्तः जो समाप्त हुआ है उसे शुरू किया जा सकता है परंतु जिस का अंत हो चुका है उसे शुरू नहीं किया जा सकता।
आदि-इत्यादिः आदि का प्रयोग संज्ञा विशेषण अव्यय के रूप में किया जाता है परंतु इत्यादि अव्यय के ही रूप में प्रयोग होता है। एक उदाहरण के साथ भी आप आदि का प्रयोग करते हैं जबकि दो से ज्यादा के साथ इत्यादि का प्रयोग करते हैं।
पर -ऊपरः जब आधार व आधेय के बीच दूरी होती है तो वहां ऊपर का प्रयोग होता है जबकि पर का प्रयोग आधार व आधेय में अंतर ना होने पर किया जाता है। उदाहरण स्वरूप पुस्तक मेज पर रखी है जिसमें पुस्तक आधेय व मेज आधार है।
की - किः 'की' संबंधबोधक अव्यय जबकि 'कि' समुधायबोधक अव्यय है। उदाहरण के लिए राम सीता की पत्नी है इसमें राम और सीता का संबंध दिखाया जा रहा है, जबकि राम ने कहा कि मैं कल आऊंगा, इसमें कि समुधायबोधक है।
प्रावधान- प्रविधानः प्रविधान एक विशेष कानून होता है जबकि प्रावधान किसी विषय पर विशेष ध्यान को कहते हैं।
इसी ज्ञानवर्धक सत्र के साथ शुक्रवार के कार्यक्रम का अंत हुआ। समिति के पूर्व छात्र अध्यक्ष की आशुतोष सिंह ठाकुर ने इतने कठिन शब्दों को सरलता से समझने के लिए कमलेश कमल का आभार व्यक्त किया।
प्रतियोगिताओं एवं परिचर्चाओं की इसी कड़ी में शनिवार को तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा एवं कोडिंग प्रतियोगिता होगी। सायं 5 बजे वक्ता के रूप में आइआरएस अंजनी पांडेय जुड़ेंगे।