Bhopal Art and Culture: भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद् की ओर से लोक नृत्य एवं गायन पर केंद्रित तीन दिवसीय लोकराग समारोह 24 से 26 सितंबर तक आयोजित किया गया है। समारोह में प्रथम दिवस राजगढ़ के प्रेमसिंह देपालपुरिया और साथियों द्वारा कबीर गायन एवं सागर के अरविंद यादव और साथियों द्वारा बधाई एवं नौरता नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
प्रस्तुति की शुरुआत प्रेमसिंह देपालपुरिया और साथियों द्वारा कबीर गायन से हुई। जिसमें उन्होंने हे रे भरयो राम रस कांसो, रे भंवरा: सदगुरू जी महाराजा मो पे साईं रंग डारा है... जैसे कबीर पदों की प्रस्तुति दी। अंत में कलाकारों ने कबीर पद कहता जा जो जी, म्हारा सासरिया हाल... से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। मंच पर मंजीरे पर पंकज मालवीय, वायलिन पर संतोष सरोलिया, तंबूरा पर हरिओम मालवीय, ढोलक पर मनोज गोराबत, टिमकी पर सचिन मालवीय, करताल पर कृष्ण मोहन देपालपुरिया ने संगत की।
दूसरी प्रस्तुति अरविंद यादव और साथियों द्वारा बधाई एवं नौरता नृत्य की दी गई। बधाई नृत्य में कलाकारों ने नैना बंध लागे कहियो न...,जनम लियो रघुरैया...,सागर को पानी अढ़ाई मटका...,टूटी टपरिया की झांकी दिखाएं...,ठाणे रहियो मनमोहन... गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद नौरता नृत्य में कलाकारों ने आगईं-आगईं रे माई नौ दुर्गा..., नौरता के गांव में राधा रानी आईं हैं...आदि गीतों पर प्रस्तुति दी गई। नौरता नृत्य में ढप, नगड़िया, लोटा, ढोलक, बांसुरी आदि लोक वाद्यों का प्रयोग किया जाता है। तीन दिवसीय लोकराग समारोह के द्वितीय दिवस 25 सितंबर को भोपाल के फूलसिंह माडरे और साथियों द्वारा बुंदेली गायन एवं उज्जैन की प्रतिभा रघुवंशी एवं साथियों द्वारा मटकी नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।