Bhopal Arts and Culture: भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की ओर से मशहूर शायर एवं गीतकार असद भोपाली के शताब्दी वर्ष पर स्मृति समारोह 'प्यार बांटते चलो" का आयोजन सोमवार रात में किया गया । कार्यक्रम का लाइव प्रसारण मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी के फेसबुक पेज एवं यूट्यूब चैनल पर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ लेखक एवं शायर प्रोफेसर अतीकुल्लाह ने कहा कि मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी धन्यवाद की पात्र है कि उसने एक अहम शायर की याद में स्मृति समारोह का आयोजन किया। वरन सच तो यह है कि हम लोग असद भोपाली को भूलने लगे थे। हमें असद भोपाली और उन सभी शायरों को याद करने की जरूरत है, जिन्होंने भोपाल के मानसिक एवं सांस्कृतिक इतिहास को संग्रहित किया एवं भोपाल को हिंदुस्तान के नक्शे में केंद्र बनाने का प्रयास किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फिल्म लेखक एवं निर्देशक रूमी जाफरी ने कहा कि आजादी के बाद फिल्म इंडस्ट्री में उर्दू साहित्य के जो शायर थे उनमें असद भोपाली प्रमुख थे। असद भोपाली ने फिल्मी गीतों में भी शायरी की कसौटी को कायम रखा। असद भोपाली की जिस खूबी ने मुझे प्रभावित किया वो यह है कि उन्होंने सबसे ज्यादा म्युजिक डायरेक्टर्स को ब्रेक दिलवाया। रशीद अंजुम ने कहा कि असद भोपाली का कारनामा यह है कि उन्होंने ने लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत के साथ जो गीत लिखा वो आज भी याद किया जाता है। परवेज अख्तर ने कहा कि असद भोपाली प्रारंभिक रूप से एक प्राकृतिक शायर थे। उन्होंने जिस जमाने में होस संभाला वो दौर राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इसका प्रभाव उस समय के युवाओं पर भी पड़ा, मगर असद भोपाली की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई। इसके साथ उनका शायरी का सफर भी जारी रहा और वो मुशायरों में हिस्सा लेने लगे। उन्होंने बहुत कम समय में अपनी शायरी से आम जनता के दिल में जगह बनाना शुरू कर दी। फिर उन्हें फिल्मी दुनिया से बुलावा आया तो उन्होंने वहां भी अपने उम्दा गीतों से अपना विशेष स्थान बना लिया। शायर हसन फतेहपुरी ने काव्यांजलि प्रस्तुत की एवं शोएब अली खान ने असद भोपाली की दो गजलें प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम के अंत में अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने सभी श्रोताओं का अभिवादन किया।