भोपाल, अनिल शुक्ला। 2 व 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने में जहरीली गैस रिसने की घटना को किसी व्यक्ति ने साजिश के तहत जानबूझकर अंजाम दिया। यह घटना प्लांट की डिजाइन में खराबी के कारण नहीं घटी। चूंकि केंद्र सरकार को कंपनी से पीड़ितों को मुआवजा दिलवाना था, इसलिए पहले ही तय कर लिया गया कि घटना का कारण प्लांट की डिजाइन में खराबी करार दिया जाए।
इसका प्रमाण सीबीआई जांच और वरदराजन रिपोर्ट है, जिनके पूरे होने पहले ही केंद्र सरकार द्वारा प्लांट की डिजाइन को खराब घोषित कर दिया गया था। बाद में केंद्र के इशारे पर घटना का जिम्मेदार फैक्ट्री के डिजाइन को डिफेक्ट बताया गया। इसी आधार पर सीबीआई ने भी जांच की है और घटना के असली अपराधियों को पकड़ने के बजाय सीबीआई ने कंपनी के अधिकारियों पर ही आपराधिक मामला दर्ज कर दिया।
केंद्र और सीबीआई की मंशा पर सवाल उठाते हुए ये सनसनीखेज तर्क बुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान आरोपी यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्लांट मैनेजर एसपी चौधरी की ओर से पेश किए गए। जिला न्यायाधीश राजीव दुबे की अदालत में अंतिम तर्क पेश करते हुए चौधरी के वकील अनिर्बान रॉय ने कहा कि गैस रिसाव की घटना मानवीय त्रुटि के कारण ही हुई थी।
घटना का कारण डिजाइन में खराबी नहीं थी। घटना के लिए दोषी कौन लोग थे, इसके लिए सीबीआई ने जांच ही नहीं की, बल्कि उसकी झूठी जांच के कारण हमारे साथ ही घटना में मृत करीब 4 हजार लोगों को आज तक इंसाफ नहीं मिल सका है।
रिपोर्ट आने से पहले तय कर दिया था मुद्दा
चौधरी के वकील ने कोर्ट को बताया कि वरिष्ठ वैज्ञानिक वरदराजन सहित 20 वैज्ञानिकों की टीम द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को दिसंबर 1985 में पेश किया गया था। इसमें फैक्ट्री में गलत डिजाइन को घटना का जिम्मेदार माना गया था। इसी को आधार बनाकर सीबीआई ने मामले की जांच कर ली। जबकि यह बात केन्द्र सरकार द्वारा अप्रैल 1985 में ही कह दी गई थी।
साफ है कि वरदराजन रिपोर्ट आने से पहले ही यह तय कर दिया था। वैसे भी वरिष्ठ वैज्ञानिक वरदराजन ने घटना के बाद पर्यावरण को हुए नुकसान और उसके प्रभाव के संबंध में अध्ययन किया था। इसका फैक्ट्री में डिजाइन डिफेक्ट होने जैसी बात से कोई लेना देना नहीं था। जबकि मामले में सीएसआईआर की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया गया।
योग्य नहीं था जांच अधिकारी
लगभग 5 घंटे चली बहस के दौरान चौधरी के वकील ने कई बार सीबीआई द्वारा मामले की जांच के दौरान की गई कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने तर्क दिया कि मामले की जांच किसी साइंस ग्रेजुएट अधिकारी द्वारा की जानी थी लेकिन सीबीआई के जांच अधिकारी पीके शुक्ला के पास यह शैक्षणिक योग्यता नहीं थी।
घटना के बाद जब लोग भाग रहे थे मैं प्लांट जा रहा था
एसपी चौधरी की ओर से तर्क दिया गया कि वह यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के प्लांट मैेनेजर थे। इसलिए किसी भी घटना की जिम्मेदारी भी उन्हीं की थी। घटना रविवार के दिन हुई थी, उस दिन वह छुट्टी पर थे। घटना के बाद जब लोग भाग रहे थे वह अपनी जिम्मेदारी निभाने प्लांट की ओर जा रहे थे।
जांच झूठी है, इसलिए वह केस डायरी अदालत बुलवाएंगे
चौधरी की ओर से तर्क दिया गया कि सीबीआई ने झूठे तथ्यों और केन्द्र सरकार की मंशा अनुसार ही मामले की जांच की है। यह स्थिति केस डायरी से स्पष्ट हो सकती है। चौधरी के वकील ने कहा कि वह अपनी बात को सही साबित करने के लिए मामले की केस डायरी अदालत में तलब किए जाने के लिए आवेदन पेश करेंगे।
सीबीआई ने किया विरोध
चौधरी की ओर से केस डायरी अदालत में पेश किए जाने की बात पर सीबीआई के वकील अयाज खान ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी की ओर से जानबूझकर केस डायरी तलब की जा रही है, ताकि मामले की सुनवाई को आगे और टाला जा सके। यदि आवेदन लगता है तो सीबीआई इस पर आपत्ति पेश करेगी। इससे पूर्व तीन दिन चली बहस के दौरान काबाईड के तत्कालीन वाइस प्रेसीडेंट किशोर कामदार की ओर से तर्क प्रस्तुत किए गए थे। मामले में अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।