भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गोवंश हादसे का कारण बनते हैं। इनमें लोगों के घायल होने के साथ ही गोवंश को भी चोट आती है। जबकि गोवंश को सुरक्षित करने के लिए जिले में लगातार गोशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिला पंचायत द्वारा ग्राम पंचायतों में 14 गोशालाएं बनवा दी गई हैं। हालांकि इनमें अब तक गोवंश नहीं रखे जा सके हैं। दरअसल गोशालाओं में बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं नहीं होने से गोवंश की शिफ्टिंग नहीं हो सकी है। इस वजह से सड़कों पर 10 हजार से अधिक गोवंश घूम रहे हैं। वहीं हर साल गोवंश के कारण ही लगभग 100 से अधिक हादसे होते हैं।
जिले की ग्राम पंचायतों में गोशालाएं बनवाने का काम मनरेगा के पास है। वर्ष 2020-21 में 30 गोशालाएं स्वीकृत की गई थीं जिनका निर्माण लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है। इनमें से 16 गोशालाएं बनकर तैयार हो गई हैं और 14 अब भी निर्माणाधीन हैं। पूर्ण हो चुकी दो गोशालाएं ग्राम पंचायत मनीखेड़ी और ललोई में शुरू हो चुकी हैं। जिनमें गोवंश रखे जा चुके हैं, लेकिन बाकी 14 बन तो गई हैं, लेकिन इनमें अब तक गोवंश रखने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
सवा तीन करोड़ से बनाईं थीं 12 गोशालाएं
वर्ष 2019- 20 में मनरेगा ने 12 गोशालाओं का निर्माण किया था। जिनकी लागत लगभग 3.32 करोड़ रुपये आई थी। इन सभी गोशालाओं का संचालन शुरू हो चुका है और इनमें 1100 से अधिक गोवंश रखे गए हैं। यदि जिम्मेदार जिला पंचायत और पुशपालन विभाग के अधिकारी पूर्ण हो चुकी गोशालाओं पर ध्यान दें तो सड़कों पर घूमने वाले गोवंश की संख्या में कमी आएगी।
यह गोशालाएं हो चुकी हैं तैयार, लेकिन नहीं पहुंचे गोवंश
गोशाला - लागत
समरधा - 30 लाख रुपये
करदई - 30 लाख
कलाखेड़ी झिरनिया - 30 लाख
बरखेड़ा सालम - 38 लाख
बिलखिरिया कलां- 38 लाख
आदमपुर छावनी - 38 लाख
कालापानी - 38 लाख
सिकंदराबाद - 38 लाख
अगरिया - 38 लाख
अमझरा - 38 लाख
बरोड़ी - 30 लाख
दामखेड़ा - 30 लाख
धूतखेड़ी - 30 लाख
बर्री बगराज - 38 लाख
हमारा काम गोशाला में गोवंश के लिए चारे, भूसे की व्यवस्था कराना है। साथ ही उनका समय पर बेहतर उपचार करना है। यदि गोशालाओं में गोवंश नहीं हैं तो जिला पंचायत के अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।
- डा. अजय रामटेके, उपसंचालक पुश चिकित्सा सेवाएं
जिले की पंचायतों में गोशालाओं के निर्माण का कार्य किया जा रहा है, अधिकांश गोशालाएं बनकर तैयार हैं। जल्द ही इनमें गोवंश रखवाए जाएंगे।
- रितुराज सिंह, सीईओ, जिला पंचायत भोपाल