Bhopal News: जनसमस्याओं के समाधान में भोपाल फिसड्डी, प्रदेश में 43वें स्थान पर
टीएल बैठक में कलेक्टर ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए स्थिति सुधारने के दिए निर्देश।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Tue, 21 Feb 2023 07:06:19 AM (IST)
Updated Date: Tue, 21 Feb 2023 07:06:19 AM (IST)

भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जनसमस्याओं का समाधान करने के मामले में मध्यप्रदेश की राजधानी ही फिसड्डी है। प्रदेश के 52 जिलों में राजधानी का स्थान 43वें नंबर पर है। यह स्थिति जनवरी के महीने में सीएम हेल्पलाइन पर आई शिकायतों की हैं। आमजन की जब कहीं भी सुनवाई नहीं होती है तो वह (181) पर गुहार लगाते हैं, लेकिन यहां से भी उनको न्याय नहीं मिल पाता है तो वह निराश हो जाते हैं। राजधानी की स्थिति को लेकर कलेक्टर अविनाश लवानिया ने सोमवार को अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सुधार करने के निर्देश दिए हैं। वह यहां कलेक्ट्रेट सभागार में टीएल बैठक ले रहे थे। बता दें कि नवंबर महीने में राजधानी जनसमस्याओं के निराकरण में 47वें स्थान पर था, तब भी कलेक्टर ने अधिकारियों को हिदायत दी थी और सुधार नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ वेतनवृद्धि रोकने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
जनवरी में आईं 18 हजार 344 शिकायतें
राजधानी भोपाल में पिछले महीने अक्टूबर में सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से कुल 18 हजार 344 शिकायतें लोगों ने दर्ज कराई थी। यह शिकायतें सरकार के अलग-अलग विभागों से संबंधित हैं। इनमें से कुल 75.51 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण अधिकारी कर सके हैं। इस तरह कुल 13 हजार 854 शिकायतों का निराकरण हुआ है जबकि चार हजार 490 शिकायतें लंबित हैं। इस तरह भोपाल प्रदेश में बी ग्रेडिंग के साथ 43वें स्थान पर है।
इस तरह से पिछड़ा भोपाल
प्राप्त शिकायतों में से 60 प्रतिशत शिकायतें संतुष्टि के साथ बंद होना चाहिए, लेकिन महज 44 प्रतिशत ही बंद हो सकीं। वहीं 50 दिन से अधिक लंबित शिकायतों का निराकरण 20 प्रतिशत होना चाहिए, लेकिन 11.21 प्रतिशत ही हो सका है। नान अटेंडेंट शिकायतों का प्रतिशत 10 होना चाहिए, जो भी 9.82 प्रतिशत है। इस तरह से सीएम हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों का निराकरण करने में राजधानी पिछड़ी हुई है।
शिकायतों के निराकरण की प्रक्रिया
सीएम हेल्पलाइन में की जाने वाली शिकायत को एल-वन अधिकारी दर्ज करते हैं जिसका निराकरण 30 दिन में किया जाना चाहिए। यदि शिकायत का निराकरण नहीं होता है तो एल-टू अधिकारी के पास जाती है जिसकी समयावधि 45 दिन होती है। इसी तरह शिकायत लंबित रहने पर एल तीन अधिकारी के पास जाती है जिसके निराकरण की समयावधि 90 दिन होती है। फिर भी शिकायत का निराकरण नहीं होता है तो एल-चार अधिकारी के पास इसे प्रेषित किया जाता है। जिसके पास छह महीने में समस्या का समाधान करने का समय होता है।
इन विभागों की सबसे अधिक शिकायतें
नगरीय विकास एवं आवास - 5750
गृह - 3710
ऊर्जा - 2915
राजस्व - 967
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण - 570
पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक - 532
वित्त - 492