Bhopal News: विवादों में गांधी भवन... एक पक्ष ने कहा- न्यास मंडल के सभी सदस्यों की सहमति से नहीं लिए जा रहे निर्णय
दूसरा पक्ष बोला- निजी स्वार्थ पूरा नहीं होने के कारण लगा रहे आरोप। 26 जुलाई को न्यास मंडल की बैठक के बाद बढ़ा विवाद, राकेश दीवान और रनसिंह परमार ने लगाए आरोप।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 30 Jul 2023 10:59:41 AM (IST)
Updated Date: Sun, 30 Jul 2023 10:59:41 AM (IST)

भोपाल (राज्य ब्यूरो)। महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए भोपाल में चार दशक पहले बने गांधी भवन में विवाद शुरू हो गया है। यहां न्यासी मंडल के सदस्य राकेश दीवान और रनसिंह परमार ने सचिव दयाराम नामदेव पर कई गभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि न्यास मंडल में सभी निर्णय कुछ लोगों की मर्जी से लिए लिए जा रहे हैं। सभी सदस्यों की राय नहीं ली जा रही है। इस पर आपत्ति करने पर वे त्याग-पत्र सौंपने के लिए कहते हैं।
ताजा मामला 26 जुलाई को हुई ‘न्यासी मंडल’ बैठक में सचिव के कार्यकाल बढ़ाने से जुड़ा है। दीवान और परमार ने आरोप लगाया है कि इन सचिव ने मनमर्जी से मई 2020 के बाद बार-बार अपना कार्यकाल बढ़ा लिया। उन पर गंभीर आर्थिक अनियमितताओं, आर्थिक अपराध, गैर-कानूनी कामकाज, ‘न्यास’ के निर्णयों की गंभीर अवहेलना जैसे अनेक आरोप लगे हैं। इसकी पुलिस में भी शिकायत दर्ज है। शिकायतों पर जांच चल रही है। आरोप लगाने वालों ने 26 जुलाई को लिए गए सभी निर्णय रद करने की मांग की है।
यह लगाए आरोप
-सचिव का चुनाव 16 मई 2015 को ‘गांधी भवन न्यास’ की बैठक में पांच वर्ष के लिए हुआ था। कार्यकाल समाप्त होने पर सूचना किसी को नहीं दी गई और वे पूरे अधिकार के साथ काम करते रहे।
- 14 दिसंबर 2020 को पांच न्यासियों (संजय सिंह, महेश सक्सेना, अंजू बाजपेई, श्याम बोहरे व रनसिंह परमार) का कार्यकाल समाप्त हो गया। उक्त न्यासियों को उनके कार्यकाल समाप्त होने की कोई सूचना नहीं दी गई। उनको वस्तुस्थिति से अवगत न कराकर गुमराह किया गया।
- सचिव ने न्यास की कार्यवाही में कूट-रचित बदलाव किए हैं, जो प्रमाणित हैं, जिनका कभी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। यह न्यास मंडल के साथ अविश्वास की कार्रवाई है।
- सचिव के कार्यकाल में तीन कोषाध्यक्षों ने कार्य किया। सभी ने उन पर मनमानी और आर्थिक अनियमितता के आरोप लगाए, पर जांच नहीं हुई।
पारदर्शिता से हो रहा काम
गांधी भवन ट्रस्ट में पूरी पारदर्शिता है, क्योंकि यहां का संचालन पूरी तरह से लोकतांत्रिक ढंग से होता है। ऐसे में किसी भी तरह के व्यक्तिगत लाभ की पूर्णता यहां संभव नहीं है। डा. रनसिंह परमार व राकेश दीवान ने भी बैठक के दौरान अपना मत प्रकट किया था। उस बैठक के मिनिट्स में उस बात भी का स्पष्ट उल्लेख है। यह कार्य उन्होंने गांधी भवन ट्रस्ट और संस्थान को बदनाम करने के लिए किया है, परंतु ट्रस्ट गांधी के सिद्धांत पर चलता है।
- दयाराम नामदेव, सचिव, गांधी भवन न्यास, भोपाल