Bhopal News: मदरसा में ये कैसी व्यवस्था... 35 बच्चों के आधार कार्ड में एक जैसी जन्मतिथि, अन्य जरूरी दस्तावेज भी गायब
बाल आयोग और समिति ने बाणगंगा स्थित दो मदरसों का औचक निरीक्षण किया, पाईं खामियां। 35 बच्चों के आधार कार्ड में जन्मतिथि- 01 जनवरी।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sat, 11 Jun 2022 03:05:31 PM (IST)
Updated Date: Sat, 11 Jun 2022 03:05:31 PM (IST)

भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। बैरागढ़ रेलवे स्टेशन से बीते मंगलवार को 14 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। साथ आए दो परिवारों ने बच्चों को इन मदरसों में पढ़ाने के लिए लाने की बात कही थी। इस मामले के बाद राजधानी के विभिन्न मदरसों में बड़ी संख्या में बिहार से बच्चों के लाए जाने की बात सामने आ रही है। इसे देखते हुए मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति भोपाल ने शुक्रवार को शहर के दो मदरसों का निरीक्षण किया। बाणगंगा स्थित मदरसा मोहम्मद रूहूल कुरआन एवं मदरसा अरबिया दारूल फलाह का निरीक्षण करने पर यहां कई खामियां पाई गईं।
आयोग को मदरसा संचालक मान्यता और अन्य वास्तविक दस्तावेज भी नहीं दिखा पाए। 35 बच्चों के आधार कार्ड में जन्मतिथि एक जनवरी दर्ज है, सिर्फ साल अलग-अलग लिखे गए हैं। बच्चों के पास दस्तावेज के नाम पर केवल आधार कार्ड हैं। बच्चों के दस्तावेज के साथ ही मदरसे से जुड़े दस्तावेज भी शंका पैदा करने वाले हैं। मदरसा में मिली खामियों को लेकर आयोग ने मदरसा बोर्ड, पुलिस एवं संबंधित सभी जिम्मेदारों को पत्र लिखकर तीन दिन में जवाब मांगा है। समस्त पहलुओं पर संबंधित अधिकारियों को जांच के निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
निरीक्षण में मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य ब्रजेश चौहान, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष जागृति किरार, सदस्य ब्रिज त्रिपाठी, मीना शर्मा के साथ टीटी नगर थाना पुलिस और विशेष किशोर पुलिस इकाई की टीम मौजूद थी।
मदरसा में गंदगी का अंबार
आयोग ने निरीक्षण में मदरसों में बिहार के मधुबनी जिले के 15 एवं पूर्णिया के 20 बच्चे रहते हुए पाए गए। मदरसों में बच्चों के रहने, सोने एवं खाने पीने की व्यवस्था भी निम्न स्तर की पाई गई। साथ ही गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
तीन दिन बाद भी कोई जानकारी नहीं
बैरागढ़ स्टेशन से रेस्क्यू किए गए 14 बच्चों के अभिभावक तीन दिन बाद भी अब तक सामने नहीं आए हैं और न ही उनके दस्तावेज मिल रहे हैं। सभी बच्चों को अभी आश्रयगृह में रखा गया है। इनके साथ दो अभिभावक थे। उन्होंने जानकारी दी थी कि ये रिश्तेदारों के बच्चे हैं और सभी बच्चों को मदरसे में पढ़ाने के लिए भोपाल लेकर आए हैं। बच्चों के अभिभावक बिहार में हैं। समिति से मिली जानकारी के मुताबिक बच्चों के दस्तावेज आते ही उन्हें स्वजनों को सुपुर्द कर दिया जाएगा।
बच्चे मदरसों में धार्मिक तालीम तो ले रहे हैं, लेकिन शिक्षा से पूर्णत: वंचित हैं, जो कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम का उल्लंघन है। बच्चों को बिना मान्यता के छात्रावास में रखना भी गैरकानूनी है। बिहार एवं अन्य राज्यों से इस तरह बच्चों को प्रदेश में लाकर मदरसों में अवैध रूप से छात्रावास चलाए जाने को आयोग ने गंभीरता से लिया है।
- ब्रजेश चौहान, सदस्य, बाल आयोग