भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में ट्रांसफार्मर, टरबाइन, इंजनों के कई तरह के उपकरण बनाने के लिए भेल से आर्डर नहीं मिल रहे हैं। कोरोना के बाद से उपकरण निर्मित करने का काम लगभग ठप पड़ा। इससे यहां मौजूद 1100 उद्योगों में 30 प्रतिशत ठप हो गए हैं, जबकि 70 प्रतिशत उपकरणों से जुड़े उद्योग प्रभावित हैं।
गोविंदपुरा औद्योगिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भेल प्रबंधन का दरवाजा तो खटखटाया, पर उन्हें उपकरण बनाने का काम नहीं मिल रहा, क्योंकि डीजल इंजनों के उपकरण बनाने का काम दो वर्ष पहले ही बंद हो गया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि पहले भेल को काम के अधिक आर्डर मिलते थे। ऐसे में गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में रौनक रहती थी। टरबाइन, ट्रांसफार्मर, रेल इंजन के उपकरण, मोटर्स आदि का निर्माण कारखानों में किया जाता था। हालांकि उपकरण बनाने का काम अब भी हो रहा है, लेकिन सीमित रह गया है। इसका प्रमुख कारण भेल भोपाल को आर्डर मिलने में कमी आना। इसके अलावा गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में पूरी तरह से बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने से उद्योगपति परेशान हैं। लंबे समय से औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपतियों को अच्छी सड़कें, स्ट्रीट लाइट, पानी व गंदगी की समस्या का निराकरण का इंतजार है।
निवेश करने से विदेशी फेर लेते हैं मुंह
गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में जब भी विदेश से उद्योगपति निवेश करने के लिए आते हैं तो बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से निवेश करने से मुंह फेर लेते हैं। ऐसे में उपकरणों व वस्तुओं का निर्यात नहीं बढ़ पा रहा है। उपकरण निर्मित करने की रफ्तार धीमी है। आर्डर अधिक नहीं मिलने से कारखानों में काम बंद हैं।
10 वर्ष पहले जैसे आर्डर नहीं मिलते
भेल से बीते 10 वर्षों से उपकरणों के आर्डर मिलने कम हो गए हैं। पहले बड़ी संख्या में भारी उपकण बनाने के आर्डर मिलते थे। बताया जा रहा है कि पहले भेल में 22 हजार कर्मचारी थे। अब पांच हजार कर्मचारी हैं। भेल में भी आर्डर कम हुए हैं। इससे कारखाने ठप हो गए हैं।
केंद्रीय बजट से उम्मीद
- जीएसटी का सरलीकरण करना जरूरी।
- छोटे व मध्यम उद्योगों के लिए बजट में अलग से आर्थिक पैकेज किया जाए।
- बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह से दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार मदद करे।
- कच्चा माल के लिए आयात शुल्क से राहत दी जाए।
राज्य के बजट से उम्मीदें
- सड़कों को दुरुस्त करने के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाई जाए।
- पुरानी स्ट्रीट लाइट को बदलकर नई लगाई जाएं।
- पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो।
- खुली नालियों को बंद किया जाए।
फैक्ट फाइल
- 100 में से 80 प्रतिशत उद्योग टरबाइन, मोटर, ट्रांसफार्मर के उपकरण निर्मित करने के हैं।
- 60 वर्ष पुराना औद्योगिक क्षेत्र।
- 1100 कारखाने हैं गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में।
- 850 उद्योग वर्तमान में चल रहे हैं।
- 250 अलग-अलग उद्योग बंद हो चुके हैं।
- 80 प्रतिशत उपकरण बनाने का कारोबार भेल पर निर्भर करता है।
क्या कहते हैं उद्योगपति
केंद्र सरकार को आगामी बजट में कुछ ऐसे प्रविधान करने चाहिए, जिससे भेल को काम मिले। जब भेल को अलग-अलग उपकरण बनाने के काम मिलेंगे तो गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र भी मुस्कुराएगा।
- अमरजीत सिंह, अध्यक्ष, गोविंदपुरा इंड्रस्ट्रीज एसोएशिन
डीजल के इंजनों के उपकरण बनने बंद हो गए हैं। इससे गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र के कई उद्योग प्रभावित हैं। कुछ ठप भी हो गए है। कोरोना के बाद से बिल्कुल आर्डर नहीं मिल रहे हैं। भेल से अधिकांश उद्योगों का संबंध है। आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
- जेके खरे, उद्योगपति, फेब्रिकेशन कार्य
उद्योग को चलाने का प्रयास कर रहे हैं। जिला उद्योग केंद्र से लेकर नगर निगम प्रशासन को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कई बार मांग कर चुके हैं। दोनों को टैक्स देते हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है।
- एचएच कलेरा, उद्योगपति