Bhopal News: भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। ज्योतिष धन कमाने की नहीं समाज सेवा की विधा है। आज के समय में ज्योतिष शास्त्र पर लोगों का अधिक विश्वास बढ़ रहा है। हमें समाज सेवक के रूप में ज्योतिष के उपाय बताकर परेशान लोगों का आत्म बल बढ़ाना है और उन्हें सही राह बताना है। ज्योतिषियों को चाहिए कि वे रत्नों के फेर से बचें। यह वैभव बढ़ाने का काम करता है। इसका कहीं भी शास्त्र में उल्लेख नहीं है।
इस तरह के विचार विभिन्न ज्योतिषियों नें मंगलवार को राष्ट्रीय कालिदास ज्योतिष सम्मेलन में व्यक्त किए। यह दो दिनी ज्योतिष समागम पंडित अयोध्या प्रसाद गौतम की पुण्य स्मृति में कलियासोत डैम के पास स्थित वाल्मी के सभागार में आयोजित है। सम्मेलन में 12 से अधिक प्रांतों के करीब ढाई सौ से अधिक विभिन्न विधाओं के ज्योतिष शामिल हुए हैं। इनमें 40 महिलाएं भी हैं। जिन्होंने दिन भर ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, काव्य ज्योतिष और अन्य विधाओं पर मंथन किया। यह कार्यक्रम ज्योतिष मठ संस्थान भोपाल, कालिदास संस्कृति अकादमी उज्जैन तथा मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित है। इसमें 35 से अधिक शोध पत्र पढ़े जाएंगे। सम्मेलन का विषय संस्कृति के पुनरुत्थान में ज्योतिष की भूमिका हैं।
सम्मेलन का शुभारंभ संस्कृति संचालनालय के संचालक अदिति त्रिपाठी ,पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया, पंडित विनोद गौतम ,विधायक पीसी शर्मा, उत्तराखंड के पूर्व मंत्री नंदकिशोर पुरोहित ,महंत रविंद्र दास, पूर्व न्यायाधीश एसएन द्विवेदी, भूपेंदर ओबराय , शिवा सिंह सिसोदिया ,रामकिशोर वैदिक , हेमचंद पांडे ,डा.सुमित्रा अग्रवाल कोलकाता, रजनी निखिल, मनोज गुप्ता विशारद दिनेश शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर सौभाग्यम स्मारिका का विमोचन किया गया। पूर्व मंत्री नंदकिशोर पुरोहित ने कहा कि ज्योतिषी अपने आप को कमजोर ना समझें। वर्ष 2025 से ज्योतिष के लिए भारत सरकार सेअलग से बजट मिलेगा। हमें संस्कृत भाषा में पकड़ मजबूत बनानी होगी। हमारे भारत की विधा संस्कृत है। 95 हजार वर्ष पूर्व यजुर्वेद में जो लिखा गया है, हम उन्हीं मंत्रों का उच्चारण करते हैं। हमें हमारा भविष्य शास्त्रों से ही पता चलता है।
आचार्य नित्यानंद गिरी ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र में अनेकों विधा हैं। ज्योतिषियों को चाहिए कि वह किसी एक विधा में अपनी पकड़ मजबूत बनाएं और ज्योतिष के ज्ञान से पीड़ितों की सेवा करें। आचार्य हेमचंद्र पांडे ने कहा कि ज्योतिष धन कमाने की नहीं समाज सेवा की विधा है। आज के समय में ज्योतिष शास्त्र पर लोगों का अधिक विश्वास बढ़ रहा है। हमें समाज के सेवक के रूप में परेशान लोगों का आत्म बल बढ़ाना है और उन्हें सही राह बताना है। पंडित विनोद गौतम ने कहा कि रत्नों के फेर से बचें। यह वैभव बढ़ाने का काम करता है। इसका कहीं भी शास्त्र में उल्लेख नहीं है। रामकृष्ण कुसमरिया ने ज्योतिष विद्या को आगे ले जाने पर बल दिया और कहा कि इन दो दिवस में जो मंथन निकलेगा वह जनहित में होगा।