भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में आवारा श्वानों का आतंक अब मासूम जिंदगी पर कहर बनकर टूटने लगा है। ऐसे में जिम्मेदारों की गहरी नींद शहरवासियों को खल रही है। अगर समय रहते जिम्मेदार जाग जाएं तो न सिर्फ इनका आतंक कम होगा, बल्कि इनकी संख्या में कमी होने लगेगी। बस जरूरत है कि नगर निगम आवारा श्वानों की नसबंदी दर और इनके आश्रय गृह को बढ़ा दे। इसके साथ ही अगर पशुप्रेमी भी इनके लिए भोजन और रहवास की व्यवस्था कर दें तो शायद ही फिर किसी मां का आंचल इनके आतंक से सूना हो। लेकिन शायद जिम्मेदार भूल गए हैं कि मासूमों की किलकारी जितना आनंद देती है, उससे कई हजार गुना दर्द होता है उस किलकारी के शांत हो जाने पर।
लगातार हो रही घटनाएं
बता दें कि बीते माह आवारा श्वानों ने शहर में दो मासूमों की जान ले ली। ऐसे में डरे-सहमे रहवासी श्वानों को पकड़ने के लिए निगम से गुहार लगा रहे हैं। जनवरी में हर दिन श्वानों को लेकर 150-200 शिकायतें निगम के काल सेंटर में पहुंची। यही नहीं, शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में भी हर दिन 40-50 डाग बाइट के मामले पहुंच रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम श्वानों की बढ़ती संख्या को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। यदि कहीं से श्वानों के आतंक से संबंधित शिकायतें आ भी जाती हैं तो निगम अमला उसे वहां से उठाकर दूसरे स्थान पर छोड़ देता है। ऐसे में यहां की समस्या वहां जरूर चली जाती है, लेकिन समाधान नहीं निकल पाता है।
मांस दुकान व होटलों ने बढ़ाई समस्या
नगर निगम व पशु प्रेमियों के साथ मांस दुकानों और होटलों की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। अधिकतर श्वानों का झुंड उन्हीं स्थानों पर रहता है, जहां उनको खाने-पीने का सामान आसानी से मिलता है। इनमें शहर के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही मांस दुकान और होटलें प्रमुख हैं। यहां बचा हुआ मांस और खाना आसपास फेंक दिया जाता है, इस कारण भूखे श्वान यहीं डेरा जमा लेते हैं।
श्वानों की गश्त से रहवासियों की मुसीबत
रात के समय श्वान ज्यादा हमलावर हो जाते हैं। अरेरा कालोनी स्थित सात नंबर स्टाप से हबीबगंज थाने तक रात में 20 से 30 श्वानों का झुंड आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि ये हाल सिर्फ अरेरा कालोनी का नहीं है। शहर के लगभग सभी कालोनी और मोहल्ले की ऐसी ही स्थिति है। ऐसे में लोगों को रात में पैदल या दोपहिया से बाहर निकलने में डर लगता है।
नसबंदी की कमी से बढ़ रही श्वानों की संख्या
एक अनुमान के मुताबिक शहर में श्वानों की संख्या लगभग डेढ़ से दो लाख है। यहां हर माह छह से सात सौ श्वानों की नसबंदी भी होती है, जो बेहद कम है। यदि पूरे साल का आंकड़ा भी देखें तो यह नौ से 10 हजार तक ही पहुंच पाता था, जबकि इस दौरान इससे अधिक श्वान पैदा हो जाते हैं। हालांकि अब अधिकारियों का कहना है कि बीते आठ माह से तीन एबीसी सेंटर शुरू किए गए हैं। यहां प्रतिवर्ष 25 हजार श्वानों के नसबंदी की व्यवस्था है।
जज ने आयुक्त से की शिकायत, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
अरेरा कालोनी के आसपास आवारा श्वानों के आतंक से रहवासी परेशान हैं। इसको लेकर बीते दिनों एक जज ने नगर निगम आयुक्त से भी शिकायत की थी, लेकिन कार्रवाई तो दूर निगम का अमला शिकायत के बारे में जानकारी लेने भी नहीं पहुंचा। यही हाल काल सेंटर में पहुंचने वाली अन्य शिकायतों का भी होता है।
इनका कहना है...
बिट्टन मार्केट, सात नंबर, अरेरा कालोनी समेत आसपास के क्षेत्रों में रात के समय निकलना रहवासियों के लिए खतरे से कम नहीं है। लोग श्वानों के डर से बाहर नहीं निकलते हैं।
- सौरभ कुमार जैन, कोलार
मांस दुकान के बाहर मांस के टुकड़े खाने से श्वान खूंखार हो रहे हैं, इसलिए इन दुकानों के बाहर मांस के टुकड़े फेंकने पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसके साथ ही निगम अमला भी सफाई व्यवस्था में सुधार करे।
- डीपी पटेल, अवधपुरी
श्वानों की आबादी रोकने के लिए तीन जगह आदमपुर छावनी, अरवलिया और कलखेड़ा में डाग शेल्टर बनाए गए हैं। यहां प्रतिदिन 140-200 श्वानों की नसबंदी व वैक्सीनेशन हो रहा है।
- फ्रैंक नोबल ए., आयुक्त नगर निगम
काल सेंटर में इस तरह पहुंच रही शिकायतें
अगस्त 2023 - 329
सितंबर 2023 - 422
अक्टूबर 2023 - 336
नवंबर 2023 - 287
दिसंबर 2023 - 381
जनवरी 2024 - 673