मुकेश विश्वकर्मा, भोपाल। शहर में रायसेन रोड पर सोनागिरी में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल में मंगलवार को मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटाया जा रहा था। यहां गोविंदपुरा, मंडीदीप और रायसेन तक से मरीज आए थे, लेकिन तीन दिन के अवकाश के चलते मरीजों को तपती गर्मी में भी निराशा ही हाथ लगी। वैसे तो यहां छुट्टी के चलते इमरजेंसी में इलाज की सुविधा थी, लेकिन यहां भी एक ही डाक्टर मौजूद था। नवदुनिया की टीम ने जब अस्पताल का जायजा लिया तो पता चला कि यहां सुबह की शिफ्ट के डाक्टर ने मरीजों का चेकअप किया था। जांचें लिखी थीं, लेकिन ईसीजी और एक्सरे नहीं किए गए। पहली मंजिल पर स्थित हाल में कई पंखे बंद मिले। वाटर कूलर भी बंद मिला। बता दें कि इस अस्पताल में कोई विशेषज्ञ डाक्टर नहीं है। सुविधाओं के अभाव में मरीज भी कम आते हैं। जबकि सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपए गोविंदपुरा, मंडीदीप के हजारों श्रमिकों से लेती है, फिर भी बेहतर इलाज नहीं दे पा रही है।
मिलती हैं आधी-अधूरी दवाइयां
जिम्मेदारों की अनदेखी के शिकार इस राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल में करीब 30 पैरामेडिकल स्टाफ है। आधे दर्जन विशेषज्ञों की भी कमी है। टेक्नीशियन नहीं है। मशीनों के नाम पर ज्यादातर सोनाग्राफी बंद पड़ी रहती है। एक्स-रे मशीन भी पुरानी तकनीक से काम करती है। पैथालाजी भी बंद पड़ी है। बीमा अस्पताल में यहां के डाक्टरों द्वारा लिखी दवाएं भी कांउटर पर नहीं मिलती। आधी-अधूरी दवा मिलने से मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है।
100 बिस्तर हैं, लेकिन मरीज 30-35 ही भर्ती
कहने को वार्ड और 100 बिस्तर हैं, लेकिन मरीज 30-35 ही भर्ती हैं। स्टाफ कम होने से मरीजों की भर्ती नहीं की जा रही है, केवल ओपीडी में आने वाले रोजाना 250-300 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। मरीज निजी अस्पताल में रेफर करने की मांग भी करते हैं, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जाती है।
मरीजों ने बताई व्यथा
मैं मंडीदीप से इलाज करवाने के लिए बीमा अस्पताल आया हूं। मुझे हृदय के नीचे वाले हिस्से में दर्द हो रहा है। अस्पताल तीन दिनों की छुट्टी के चलते बंद है, लेकिन इमरजेंसी में गया था, लेकिन वहां एक डाक्टर मिले। डाक्टर ने मेरा पर्चा नहीं लिया। उन्होंने कहा कि जिस डाक्टर ने पर्चा लिखा है, उन्हें ही दिखाएं। अब ऐसे में मेरा दिनभर का समय ही खराब हो गया।
- गवेंद्र सिंह रघुवंशी, मरीज
मैं अपने दोस्त को पेट दर्द के चलते इलाज करवाने मंडीदीप से यहां आया था। मंडीदीप में एक डाक्टर को दिखाया था। सोनोग्राफी करवाने के बाद पता चला कि आपरेशन करवाना पड़ेगा। निजी अस्पताल में आपरेशन करवाने के लिए वह सक्षम नहीं है। इसलिए बीमा अस्पताल लेकर आया, लेकिन इमरजेंसी डाक्टर ने देखने से मना कर दिया।
-प्रहलाद मिश्रा, मरीज के परिजन
मैं इलाज के लिए कई दिनों से भटक रहा हूं। आज आया तो मालूम चला कि छुट्टी है। मैं एक निजी कंपनी में काम करता हूं। मुझे कई दिनों से सीने में दर्द हो रहा है, लेकिन यहां आता हूं तो बोलते हैं अभी डाक्टर नहीं हैं। गर्मी के दिनों में साइकिल चलाकर आना काफी मुश्किल होता है। इतने पैसे नहीं है कि निजी अस्पताल में जाकर इलाज करा सकूं।
- रत्नेश सिंह, मरीज
मैं उल्टी-दस्त के चलते दो दिनों से यहां भर्ती हूं। मेरे साथ मेरी पत्नी है। आज सुबह एक डाक्टर आए थे, उन्होंने जांच लिखी थी, लेकिन जब जांच कराने के लिए गया तो एक्सरे और ईसीजी का कमरा बंद मिला। कारण पूछा तो छुट्टी होना बताया गया है।
- रामावतार, मरीज
तीन दिन की छुट्टी के चलते अस्पताल बंद है। सिर्फ इमरजेंसी की सुविधा है। वहां एक डाक्टर को तैनात किया है। अस्पताल में स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
-डा. स्मिता भटनागर, अधीक्षक, बीमा अस्पताल