By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 27 Nov 2022 04:57:43 PM (IST)
Updated Date: Sun, 27 Nov 2022 04:57:43 PM (IST)
भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। पानी बचाने का दावा करने वाले रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर लोग 500-500 लीटर पानी से नहा रहे हैं। ऐसा एक दिन नहीं, बल्कि रोजाना करते हैं। हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। चिंता की बात यह है कि यह पानी उस ट्रैक के नीचे जा रहा है जिस पर ट्रेनें दौड़ती हैं। इस तरह की अनदेखी रेल परिचालन के लिए खतरा बन सकती है। यह हकीकत नवदुनिया की पड़ताल में सामने आई है।
नवदुनिया पड़ताल
दोपहर 1.15 बजे
स्टेशन क्षेत्र में 10 इंच मोटी पाइप लाइन है। यह प्लेटफार्म के एक छोर से शुरू होती है तो दूसरे छोर पर खत्म होती है। इसमें से सवा इंच मोटी अलग-अलग लाइनें निकली हैं, जिनकी मदद से कोच में पानी भरते हैं। प्लेटफार्म-एक व दो के बीच डाली गई एक मुख्य लाइन में से चार छोटी लाइनों को खोलकर चार लोग पानी नहा रहे थे। इनमें एक महिला भी थी। पहले व्यक्ति ने करीब दोपहर 1.09 बजे लाइन खोली थी। इस तरह सभी लाइनें दोपहर 1.19 बजे तक खुली रही। नहाने के बाद कुछ लोग कपड़े भी धोते दिखाई दिए।
500 लीटर पानी का हिसाब
ट्रेन के एक कोच में पानी की चार टंकी होती है। एक की क्षमता 455 लीटर होती है। इनमें से दो टंकियों को एक सवा इंच मोटी लाइन अधिकतम छह मिनट में भर देती है। इस तरह एक पाइप से छह मिनट में 910 लीटर पानी भर जाता है। नवदुनिया की पड़ताल में पता चला कि एक व्यक्ति पानी नहाने व कपड़े धोने के लिए अधिकतम 10 मिनट तक सवा इंच मोटी इन लाइनों को खोलकर रखता है। कुछ लोग बीच-बीच में बंद भी कर देते हैं। तब भी औसतन एक व्यक्ति द्वारा 500 लीटर पानी बर्बाद किया रहा है।
दोपहर 1.40 बजे
पालीथिन में भरकर ट्रैक के किनारे पटक रहे कचरा
प्लेटफार्म-4 व पांच के बीच ट्रैक के किनारे नीले रंग के थैले दिखाई दिए। जब पड़ताल की तो पता चला कि इनमें तो कचरा है। यह स्थिति अन्य ट्रैक के किनारे भी दिखी।
दोपहर 12.58 बजे
थैले में भरा कचरा प्लेटफार्म पर छोड़कर गायब
स्टेशन परिसर में उपयोग होने वाली सामग्री से निकले कचरे को भरकर कुछ कर्मचारियों ने प्लेटफार्म-एक पर रख दिया। वहीं से यात्री गुजरते रहे।
दोपहर 12.52
पान गुटखे की पीक से लाल हो रहा चमचमाता स्टेशन
प्लेटफार्म-एक की सीढ़िया लाल दिखाई दी। यहां स्टेशन पर साफ-सफाई को नजर अंदाज करने वाले कुछ यात्रियों ने पान गुटखा खाकर थूक दिया था। इतना ही नहीं, एयर कानकोर पर कुछ यात्रियों ने तो डस्टबिन के ऊपर ही थूका था।
दोपहर 12.58 बजे
नलों में फंसी सुपारी तो बंद हो गई पानी की निकासी
प्लेटफार्म-एक के इटारसी छोर पर स्टैनलैस स्टील से बने नलों में कुछ यात्रियों ने सुपारी थूक दी। जिसके कारण बेसिन से पानी की निकासी बंद हो गई और पानी प्लेटफार्म पर गिरने लगा।
दोपहर 1.27 बजे
भरी रहती है डस्टबिन, भिनभिनाती है मक्खियां
यह प्लेटफार्म-चार है। यहां एक या दो नहीं, बल्कि 75 प्रतिशत डस्टबिन भरी हुईं हैं। इनके आसपास मक्खियां भिनभिना रही है।
दोपहर 1.09 बजे
जिस बेंच पर बैठे उसी पर छोड़ गए कचरा
प्लेटफार्म-एक पर कुछ यात्री बैठे थे, जब उन्होंने बैंच छोड़ी तो उस पर कचरा था। नीचे भी कचरा फैला हुआ था। नजदीक ही डस्टबिन थी लेकिन बैठने वालों ने डस्टबिन में कचरा डालने की जहमत भी नहीं उठाई।
कुछ लोग दो ट्रैक के बीच में पानी नहाते हैं। जिसकी वजह से पानी फैल रहा है, ट्रैक के नीचे जमा हो रहा है। सफाईकर्मी शताब्दी एक्सप्रेस से निकला कचरा ट्रैक पर फेंककर चले जाते हैं। दोनों ही विषयों को लेकर संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा है। गंदगी न करें, इसको लेकर यात्रियों से लगातार सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं। आगे बेहतर सुधार करने के प्रयास करेंगे।
- मोहित सोमय्या, स्टेशन प्रबंधक, बंसल पाथ-वे हबीबगंज प्राइवेट लिमिटेड