नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी की जनसंख्या 28 लाख काे पार कर चुकी है, लेकिन इतनी संख्या के हिसाब से यहां लोक परिवहन सेवाओं का अभाव है। जिसकी वजह से बसें आेवरलोड चल रही हैं। इंदौर में 32 लाख की जनसंख्या के लिए शहर में 700 से अधिक बसों का संचालन किया जा रहा है, जबकि भोपाल में 28 लाख की जनसंख्या के लिए केवल 365 बसों का संचालन किया जा रहा है।
बता दें कि शहर के 22 मार्गों पर नगर निगम द्वारा बसों का संचालन किया जा रहा है। इनमें 291 डीजल और 77 सीएनजी बसें हैं। ये बसें उन्हीं मार्गों पर चलाई जा रही हैं, जहां यात्रियों का दबाव अधिक है। जबकि शहर की सीमावर्ती कालोनियों तक पहुंचने के लिए लोगों को लोक परिवहन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इनमें एस्सार्जी संपदा खजूरी कला, बीडीए कालोनी अवधपुरी, लांबाखेड़ा, बर्रई, कालापानी कजलीखेड़ा समेत दो दर्जन से अधिक क्षेत्र हैं, जहां अभी बसों का संचालन शुरु नहीं होने से यात्रियों को निजी वाहनों की सेवाएं लेनी पड़ती है। जोकि यात्रियों से कई गुना किराया वसूलते हैं।
600 बसों का टेंडर, 117 बसों की आपूर्ति
हालांकि नगर निगम द्वारा बीते दो वर्ष पहले 300 डीजल बसों की खरीदी के लिए टेंडर जारी किए गए थे। वहीं पिछले वर्ष 300 सीएनजी बसों के लिए टेंडर जारी किए गए। लेकिन अब तक केवल 77 सीएनजी और 40 डीजल बसों की आपूर्ति की गई है। यदि सभी 600 बसें सड़क पर उतर जाएं, तो शहर में यात्रियों को आवागमन के दौरान सहूलियत होगी। इस मामले में अधिकारियों का तर्क है कि संबंधित एजेंसी को नोटिस जारी किया गया है, साथ बची हुई बसों की आपर्ति जल्द करने के निर्देश दिए हैं।
इन मार्गों में ओवर लोड चल रही बसें
एमपी नगर में कोचिंग संस्थानों में आने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है। साथ ही कामकाजी व खरीदारी करने वाले लोग भी बहुत आते हैं। ऐसे में एमपी नगर से नर्मदापुरम सड़क, एमपी नगर से अवधपुरी, एमपी नगर से नेहरु नगर और कोलार की ओर जाने वाली बसों में पीक आवर्स में यात्रियों को बैठने की जगह नहीं मिलती। यहीं हाल वापसी वाली बसों का भी होता है।