Bhopal News: स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने किया काटजू अस्पताल का निरीक्षण, खुद का पर्चा बनवाकर जाना चिकित्सालय का हाल
प्रमुख सचिव काटजू अस्पताल में करीब तीन घंटे तक रहे। अस्पताल प्रबंधन ने मदरमिल्क बैंक, मरीजों के इलाज, दवाओं, इमरजेंसी व ओपीडी में जरूरी सुविधाओं के बारे में प्रजेंटेशन दिया।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 08:17:27 AM (IST)
Updated Date: Thu, 28 Mar 2024 08:17:27 AM (IST)
काटजू अस्पताल का निरीक्षण करते प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल (दायें)। -नवदुनिया भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। डा. कैलाशनाथ काटजू जच्चा-बच्चा अस्पताल को महिलाओं और बच्चों का बेहतर तरीके से इलाज के लिए बनाया गया है। इससे जेपी और हमीदिया अस्पताल में मरीजों का दबाव को कम किया जा सके, लेकिन स्वजन अस्पताल के स्टाफ से परेशान हो रहे हैं। मरीज के स्वजन को अस्पताल के अंदर आने पर ही रोक लगा दी जाती है। कुछ ऐसा ही नजारा डा. कैलाशनाथ काटजू जच्चा-बच्चा अस्पताल में बुधवार को देखने को मिला। दरअसल, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विवेक कुमार पोरवाल बुधवार को डा. कैलाशनाथ काटजू जच्चा-बच्चा अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान मरीज के स्वजनों ने पीएस से भी गुहार लगाई। पीएस तीन घंटे तक अस्पताल में मौजूद रहे। अस्पताल पहुंचते ही खुद का पर्चा बनवाकर अस्पताल का हाल जाना।
पीएस के आते ही सफाईकर्मी करने लगे साफ-सफाई
एक ओर पीएस अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे, वहीं दूसरी और सफाईकर्मी अस्पताल की साफ-सफाई की व्यवस्था में लगे हुए थे। पीएस ने अस्पताल की साफ-सफाई बेहतर देखकर इसे लगातार जारी रखने के निर्देश भी दिए। उन्होंने मेटरनिटी, एसएनसीयू, रसोई, वार्ड, दवा कक्ष, ओपीडी, डिलीवरी रूम, वैक्सीन सेंटर, लेबर रूम, इमरजेंसी वार्ड, समेत पूरे अस्पताल का भ्रमण किया।
प्रजेंटेशन में दी मदर मिल्क बैंक और ओपीडी की जानकारी
प्रबंधन द्वारा मदरमिल्क बैंक, मरीजों के इलाज, दवाओं, इमरजेंसी व ओपीडी में जरूरी सुविधाओं के बारे में प्रजेंटेशन दिया गया। उन्होंने बायोमेडिकल वेस्ट, रेडियोलाजी से संबंधित लाइसेंस, एसओपी, पानी की जांच, स्टाफ की मेडिकल जांच से संबंधित सभी जानकारियां भी प्रबंधन से मांगी थी। इस दौरान हेल्थ कमिशनर डा. पंकज जैन व अधीक्षक कर्नल प्रवीण सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
अंदर नहीं आने देते
अस्पताल में डा. रचना को दिखाने आया हूं। दो बजे से देखने का समय था, तो टाइम पर आ गया, लेकिन अस्पताल के अंदर आकर बैठने नहीं दिया गया। ऐसे ही परिजन कई दूर से आते हैं और परिसर में बैठने के लिए जगह ढूंढते रहते हैं।
- संदीप पंथी, मरीज के परिजन