Bhopal News: भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। अगर ट्रेन में यात्री का सामान चोरी होता है तो यह रेलवे की लापरवाही है। यात्री को सुरक्षित यात्रा की जिम्मेदारी रेलवे की जिम्मेदारी है। राज्य उपभोक्ता आयोग ने रेलवे के खिलाफ एक मामले में सुनाया। आयोग ने रेलवे को 35 हजार रुपये की राशि के साथ-साथ मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 1500 रुपये देेने का आदेश दिया। दरअसल इंदौर के वरिष्ठ नागरिक पुरुषोत्तम मोहता अपनी पत्नी के साथ सात जून 2013 को ट्रेन संख्या 19311-पुणे-इंदौर एक्सप्रेस से एस-3 कोच संख्या 61 और 64 में यात्रा कर रहे थे। उनके पास दो सूटकेस थे। उन्होंने दोनों सूटकेस को बर्थ के नीचे जंजीर से बांधकर रख दिया था। उनके सोने के बाद जब ट्रेन नागदा स्टेशन पहुंची तो उनके दोनों सूटकेस गायब थे। चेन तोड़ कर उनके दोनों सूटकेस सामान सहित चोरी कर लिए गए थे। यात्री के कोच में टीटीई और आरपीएफ जवान नहीं मिले। उन्हें बताया गया कि आरपीएफ कर्मी उज्जैन में किसी वीवीआईपी के आने के कारण ड्यूटी पर थे, इसलिए वे उक्त ट्रेन में ड्यूटी पर नहीं थे। उपभोक्ता ने घटना की जानकारी टीटीई प्रभारी को दी और जीआरपी पुलिस स्टेशन इंदौर में एफआईआर दर्ज कराई।उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में रेलवे के खिलाफ शिकायत की थी कि लापरवाही के कारण उनका सूटकेस चोरी हो गया। जिला आयोग ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। रेलवे ने राज्य आयोग में अपील लगा दी।
रेलवे के तर्क को किया खारिज
रेलवे ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील लगा दी और अपना पक्ष रखा कि नुकसान के लिए जिम्मेदार रेलवे नहीं है। यदि सामान बुक नहीं किया गया है तो यात्रियों को अपने सामान का ध्यान रखना चाहिए। मामले में आयोग ने इस तर्क को खारिज कर दिया और रेलवे को सेवा में कमी बताते हुए जिला आयोग के निर्णय को सही ठहराते हुए दो महीने के अंदर 35 हजार रुपये का भुगतान नौ प्रतिशत वर्ष की दर से ब्याज सहित मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 1,500 रुपये देने का आदेश दिया।