Bhopal News: दुष्यंत कुमार की पत्नी राजेश्वरी देवी का निधन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जताया शोक
87 वर्षीय राजेश्वरी देवी लंबे समय से बीमार चल रहीं थीं। भदभदा विश्राम घाट पर सोमवार दोपहर हुआ अंतिम संस्कार।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Mon, 30 Aug 2021 01:23:28 PM (IST)
Updated Date: Mon, 30 Aug 2021 01:37:37 PM (IST)

भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। ख्यात कवि और साहित्यकार (स्वर्गीय) दुष्यंत कुमार की पत्नी राजेश्वरी देवी का भोपाल में निधन हो गया। उन्होंने दुष्यंत मार्ग पर स्थित स्मार्ट सिटी अस्पताल में रविवार रात करीब साढ़े दस बजे अंतिम सांस ली। बीस दिन पहले वह ब्रेन हेमरेज का शिकार हो गई थीं। उसके बाद से ही उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। सहारनपुर जनपद के गांव डंगहेड़ा की रहने वाली राजेश्वरी देवी की शादी दुष्यंत कुमार से 30 नवंबर 1949 को हुई थी। दुष्यंत कुमार का निधन वर्ष 975 में हुआ था। 87 वर्षीय राजेश्वरी देवी लंबे समय से बीमार चल रहीं थीं। उनके निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।।
राजेश्वरी देवी के भतीजे अमित त्यागी ने बताया कि वह अपने ज्येष्ठ पुत्र आलोक त्यागी के साथ आदित्य एवेन्यू एयरपोर्ट रोड में रहती थीं। सोमवार सुबह भदभदा विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर पारिवारिक सदस्यों के अलावा शहर के अनेक साहित्यकार और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। ज्येष्ठ पुत्र आलोक ने उन्हें मुखाग्नि दी। राजेश्वरी देवी और दुष्यंत कुमार ने तीन संतानों को जन्म दिया। आलोक त्यागी बैंक से सेवानिवृत्त हैं। छोटे सुपुत्र अपूर्व सेना में नौकरी करते हैं। माता के निधन की सूचना मिलते ही वह सोमवार सुबह भोपाल पहुंच गए थे। पुत्री अर्चना का देहांत एक कार दुर्घटना में दुष्यंत कुमार के निधन से दो साल पूर्व ही हो गया था। आलोक त्यागी का विवाह ख्यात लेखक और पत्रकार स्व. कमलेश्वर की पुत्री ममता से हुआ है। दुष्यंत और कमलेश्वर गहरे मित्र थे और अपनी मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने के लिए यह शादी की गई थी।
राजेश्वरी देवी शासकीय मॉडल स्कूल साउथ टीटी नगर, भोपाल में हिंदी की शिक्षिका रहीं और वहीं से सेवानिवृत हुईं थी। उल्लेखनीय है कि दुष्यंत कुमार न केवल महान साहित्यकार थे, बल्कि सादगी पसंद, सबको साथ लेकर चलने वाले ऐसे इंसान थे, जो समाज के दर्द को अपना दर्द समझते थे और सबसे अपनत्व बटोरते थे। उनके नाम पर शिवाजी नगर में पांडुलिपि संग्रहालय भी स्थित है।