भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। राजधानी सहित प्रदेश के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से परेशान लोगों को राहत दिलाने के लिए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी का निर्माण किया गया था। रेरा जब से बना तब कुछ नियम कायद काननू बनाकर लोगों को न्याय दिलाने का दावा किया गया लेकिन इन दावो की अब हवा निकलना शुरू हो गई है। ऐसा इसलिए क्योकि रेरा के ऐसे दर्जनों आदेश है जिस पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया है। इतना ही नहीं रेरा के जुर्माना संबंधी आदेशों पर भी हाईकोर्ट से मामला खत्म करवा लिया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि नियम तो बन गए लेकिन इनका पालन कराने का अधिकार ही रेरा के अधिकारियों के पास नहीं है। किसी पर जुर्माने की कार्रवाई की जाती है या बिल्डर की कुर्की का आदेश जारी किया जाता है तो इसका पालन कराने के लिए रेरा को कलेक्टर और एसडएीम के भरोसे ही रहना पड़ता है। यह सब बाते शुक्रवार को रेरा से जुड़े सभी वकील और सीए की एक वर्चुअल बैठक में सामने आई। इसमें नए नियमों को लेकर सलाह ली गई। अभी यह केवल इंदौर और भोपाल के सीए और वकीलों के लिए हुई। इसमें रेरा कानून में अब तक हो रही गलतियों पर फीडबैक लिया गया। साथ ही प्रस्तावित रेगुलेशन पर फीडबैक भी लिया गया। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले अधिकांश लोगों के सवाल के जवाब में रेरा के अध्यक्ष सिर्फ एक ही जवाब देते रहे कि यह निर्णय सरकार स्तर का है। इसमें वे कोई निर्णय नहीं ले सकते है। जमीन का टाइटल निर्धारित करने सरकार लेगी निर्णयबैठक में सवाल उठाया गया कि कई बार बिल्डर ज्वाइंट वेंचर में प्रोजेक्ट लेकर आते है। जमीन किसी और की होती है और बनाता कोई और है। महज एग्रीमेंट के आधार पर बुकिंग लेना शुरू हो जाता है। बहुचर्चित आम्रपाली बिल्डर के प्रकरण में भी यहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति ली थी। रेरा नए नियमों में यह सुनििश्चत करना चाहता है कि जो बिल्डर प्रोजेक्ट ला रहा है वह जमीन का टाइट उसी के नाम पर हो। टाइटल के लिए भी रेरा ने एक जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त किया है।