Bhopal News: एफडी घोटाला मामले में आरजीपीवी पहुंची एसआइटी, सुनील कुमार को कुलपति बनाने नियमों को किया था दरकिनार
विशेष जांच दल के सदस्यों ने विवि में 10 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ की। जुटाए दस्तावेज।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sat, 13 Apr 2024 11:41:09 AM (IST)
Updated Date: Sat, 13 Apr 2024 11:41:09 AM (IST)
फाइल फोटोHighLights
- आरजीपीवी कुलपति के तौर पर प्रो. सुनील कुमार का करीब साढ़े छह साल का कार्यकाल काफी विवादित रहा।
- एसआइटी की टीम ने विवि में तीन घंटे तक पड़ताल करते हुए आरोपितों के खिलाफ जुटाए साक्ष्य।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में 19.48 करोड़ रुपये का एफडी घोटाला मामले में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद विवि में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों में डर व्याप्त है। शुक्रवार को एसआइटी की टीम तीन घंटे तक विवि में वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा व कुलसचिव आरएस राजपूत के खिलाफ सबूत जुटाती रही। मामले में 10 से अधिक कर्मचारियों व अधिकारियों से पूछताछ की गई है। इस मामले में वर्तमान कुलसचिव मोहन सेन से अन्य दस्तावेज मांगें गए।
दूसरी बार कुलपति बने थे प्रो. कुमार
प्रो. सुनील कुमार गुप्ता का विवि में बतौर कुलपति यह दूसरा कार्यकाल था। वे साल 2017 में पहली बार कुलपति बने थे। उस समय उन्हें रीवा इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफेसर बने करीब साढ़े सात साल ही हुए थे, जबकि कुलपति पात्रता के लिए नियमानुसार बतौर प्रोफेसर 10 साल का अनुभव अनिवार्य है। तब भी प्रो. कुमार को कुलपति बनाया गया। राजभवन द्वारा कुलपति के चयन के लिए गठित पहली सर्च कमेटी ने उनके नाम को पैनल में शामिल नहीं किया था। जिसके तत्काल बाद एक अन्य सर्च कमेटी गठित कर दी गई, जिसने प्रो. कुमार के नाम को चयनित पैनल में रखा और उन्हें कुलपति बनाया गया। तब भी प्रो. कुमार की नियुक्ति पर पात्रता को लेकर सवाल उठे थे। फिर से 2021 में उन्हें कुलपति नियुक्त किया गया। इसके बाद करीब साढ़े छह साल का कार्यकाल काफी विवादित रहा। विवि में करीब 50 से अधिक रैगिंग की घटनाओं के साथ-साथ कोविड काल में साफ्टवेयर खरीदी घोटाला,करियर एडवांसमेंट स्कीम में गड़बड़झाला,फर्नीचर सहित निर्माण कार्यों में 170 करोड़ रुपये का घोटाले सामने आए ।
राजपूत को प्रो. कुमार ने बनाया था प्रोफेसर
विवि के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1990-91 में प्रो. सुनील कुमार और एफडी घोटाले के सहआरोपित तत्कालीन कुलसचिव आरएस राजपूत की पहली नियुक्ति सागर इंजीनियरिंग कालेज में बतौर सहायक प्राध्यापक और प्रोफेसर के पद पर हुई थी। जब प्रोफेसर बनाने के लिए समिति गठित हुई तो उसमें प्रो. कुमार भी सदस्य के रूप में शामिल थे। उन्होंने ही राजपूत को पदोन्नति देकर प्रोफेसर बनाया था ।इसके बाद दोनों सागर से रीवा इंजीनियरिंग कालेज आ गए। इसके बाद प्रो. कुमार 2017 से आरजीपीवी के कुलपति रहे। दोनों ने मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया ।