Bhopal News:भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक और छह में जनता के पैदल चलने के लिए बनाए गए फुटपाथ पर सैकड़ों दुकानें लग रही हैं। जिससे दिनभर स्टेशन के दोनों तरफ ट्रैफिक जाम लगता है। यात्रियों को स्टेशन तक पहुचंने के लिए घंटो मशक्कत करनी पड़ती है। इससे कई बार यात्रियों की ट्रेन भी छूट जाती है। लेकिन नगर निगम में शिकायत करने के बाद भी अधिकारी अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने में लापरवाही दिखाते हैं।
शिकायतकर्ता प्रदीप खंडेलवाल ने नगर निगम आयुक्त केवीएस कोलसानी चौधरी को लिखे पत्र में कहा है कि भोपाल रेलवे स्टेशन में अतिक्रमण की वजह से ट्रैफिक जाम लगता है। यहां की साफ-सुथरी सड़कें और फुटपाथ अतिक्रमण की चपेट में हैं। 10 से 12 फीट की सड़क के दोनों ओर गुमठी और हांथ ठेलों का कब्जा है। इसकी वजह से सड़क में संकरी हाे जाती है, राहगीरों और वाहन के लिए 6 फीट की जगह भी नहीं बचती है। इस सड़क से निकलने के लिए लोगों को लंबा समय बर्बाद करना पड़ता है। इसके साथ ही इन दुकानों में दिनभर असमाजिक तत्वों का डेरा बना रहता है। जिसकी वजह से स्टेशन के आसपास से महिलाओं का निकलना मुश्किल हो जाता है। ये लोग उनपर अभद्र टिप्पणियां करते हैं। इसकी शिकायत पुलिस थाने में करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती।
यहां हटाया था अतिक्रमण फिर सज गई दुकानें
बता दें कि नगर निगम के अतिक्रमण अमले द्वारा कुछ दिन पूर्व ही रायसेन रोड पर प्रभात चौराहे से आनंद नगर तक फुटपाथ का अतिक्रमण हटाया गया था। इनमें मुख्य रुप से बोगदा पुल, प्रभात चौराहा, अशोका गार्डन, अप्सरा टाकीज, आइटीआइ जेके रोड, इंद्रपुरी, पिपलानी पेट्रोल पंप, रत्नागिरी तिराहा और आनंद नगर का फुटपाथ शामिल है। लेकिन दो दिन भी नहीं बीता और अतिक्रमणकारी फिर से यहां दुकानें लगाने लगे।
न्यू मार्केट में दुकानदारों का कब्जा
न्यूमार्केट के अंदर दुकानदारों के द्वारा किया गया अतिक्रमण खरीदारी करने आए लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। बाजार के अन्दर 15 फीट चौड़ी सड़क अतिक्रमण की मार की शिकार हो गई है। इसके कारण लोगों को चलने के लिए 5 फीट की जगह भी नहीं बची है। दुकानदारों ने दुकान से 5 से 7 फीट बाहर तक सामान लगा रखा है। त्यौहार के कारण बड़ी संख्या में लोग न्यू मार्केट खरीदारी करने के लिए पहुंच रहे हैं, जिसके कारण भीड़ का दबाव बढ़ जाता है। लेकिन अतिक्रमण के कारण बाजार में लोगों के चलने की जगह नहीं बचती है।