भोपाल। एम्स भोपाल में के नेत्र विभाग को कार्नियल रिट्रीवल के लिए दो नेत्रदान प्राप्त हुए है, जिससे दो लोगों को आंखों की रोशनी मिल सकेगी। भोपाल के पास मंडीदीप निवासी आयुष झाड़बड़े ने उदारता और मानवता का परिचय देते हुए स्वेच्छा से अपने दिवंगत पिता गणेश झाड़बड़े की कार्निया दान की, जिनकी आयु 42 वर्ष थी। यह परोपकारी योगदान दो व्यक्तियों को दृष्टि प्रदान करेगा, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
नेत्र विभाग की प्रमुख डा. भावना शर्मा ने बताया कि दरअसल कार्निया आंख के ऊपर गुंबद के आकार की एक सतह होती है, जो आंख को पढ़ने या देखने में फोकस करने में मदद करती है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करता है तो उस व्यक्ति की आंखों से कार्निया निकाल कर किसी ऐसे व्यक्ति की आंखों में लगा दिया जाता है जिसका कार्निया खराब हो गया है और वो फिर से अपनीआंखों से इस दुनिया को देख पता है।
इनका कहना है
हम नेत्रदाताओं और उनके परिवारों के प्रति बहुत आभारी हैं। उनके निस्वार्थ दान ने सामाजिक योगदान और करुणा का एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। ये दान दृष्टिहीन लोगों के लिए आशा और प्रकाश की किरण हैं। एम्स का नेत्र विभाग इस कार्यक्रम द्वारा अधिक से अधिक व्यक्तियों की दृष्टि वापस ला कर उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लेन के लिए प्रयासरत है।
- प्रो. डा. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल