Bhopal News: भोपाल। वंदे भारत एक्सप्रेस के रख—रखाव के लिए रेलवे 45 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है। इस राशि से भोपाल रेलवे स्टेशन के यार्ड में दो पिट लाइनें बनाई जाएंगी। ये आधुनिक तकनीक कैमटेक डिजाइन की होंगी। जिनकी गराई इतनी होगी कि इन पर खड़े होने वाले वंदे भारत एक्सप्रेस समेत जर्मन कंपनी लिंक हाफमैन बुश तकनीक से बनाए जाने वाले कोच के नीचे रेलकर्मी आसानी से चल—फिर सकेंगे। इस तरह कोच के प्रत्येक निचले हिस्से तक नजर पहुंच सकेंगी और कमियों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। यही नहीं, इन पिट लाइनों के अंदर साझो समान ले जाने की सहूलियत होंगी, ताकि कोच में कमी वाले हिस्सों को आसानी से ठीक किया जा सके। अभी जो पुरानी लाइनें हैं, उनकी ऊंंचाई कम है, कोचों के रख—रखाव में समय लगता है। रेलकर्मियों को परेशान भी होना पड़ता है।
भोपाल रेलवे स्टेशन से अभी इंदौर के बीच एक वंदे भारत एक्सप्रेस चलती है। चूंकि यह रतलाम रेल मंडल की ट्रेन है इसलिए इसका विधिवत सुधार कार्य इंदौर में होता है लेकिन जरुरत पड़ने पर प्राथमिक सुधार भोपाल में भी करना पड़ता है जो कि भोपाल का रेलवे डिपो संसाधन के तौर पर सक्षम नहीं है। यहां सबसे बड़ी कमी नई पिट लाइन का नहीं होना है। पश्चिम मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब भी वंदे भारत एक्सप्रेस में कोई कमी को दूर करना होता है तब उसे रानी कमलापति स्टेशन लाना पड़ता है, जोकि एक व्यस्ततम रेल मार्ग पर काफी चुनौती भरा है। इन तमाम स्थितियों को देखते हुए भोपाल यार्ड में दो पिट लाइनें प्रस्तावित है, इन पर 45 करोड़ रुपये खर्च आएगा। सबसे पहले एक पिट लाइन का निर्माण किया जाएगा।
भविष्य में भोपाल को भी मिल सकती है और वंदे भारत एक्सप्रेस
आने वाले समय में भोपाल मंडल को एक और वंदे भारत एक्सप्रेस मिल सकती है। इसे भोपाल रेलवे स्टेशन से पुणे, लखनउु, नागपुर, खजुराहो जैसे शहरों के बीच चलाया जा सकता है। ऐसी ट्रेनों के रख—रखाव के लिए पिट लाइन अनिवार्य है, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर इन ट्रेनों के लिए कैमटेक डिजाइन की एक पिटलाइन चालू हो चुकी है। जिस पर हजरत निजामुदृदीन जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का रख—रखाव किया जाता है।