नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। यात्रियों को अब तक वंदे भारत में पानी की एक लीटर की बोतल मिलती थी। लेकिन, रेलवे ने पानी की बर्बादी को कम करने के लिए इस नियम को बदल दिया है। ट्रेन में ज्यादातर लोग एक लीटर पानी नहीं पी पाते हैं। ऐसे में पानी की बर्बादी होती है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए ट्रेनों में एक की जगह अब आधा लीटर बोतल पानी मिल रही है। यात्री को जरूरत पड़ने पर आधा लीटर पानी और ले सकेंगे। इस व्यवस्था को शताब्दी और वंदे भारत ट्रेनों में शुरू कर दी है। जिससे एक तरफ की यात्रा के दौरान लगभग डेढ़ लाख लीटर पानी की रोजाना बचत की जा रही है।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रेलवे प्रशासन ने महसूस किया है कि ज्यादातर लोग सफर के दौरान एक लीटर पानी की बोतल ले तो लेते हैं, लेकिन सफर पूरा होने तक वह उसे खत्म नहीं कर पाते हैं। बोतल में काफी पानी यूं ही छोड़कर ट्रेन से उतर जाते हैं। इससे पीने के पानी की बर्बादी बहुत ज्यादा होती है। जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यात्रियों के लिए पीने के पानी की बर्बादी को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
रोजाना सफर करते हुए लगभग 1600 यात्री
रानी कमलापति से वंदे भारत एक्सप्रेस और शताब्दी में दिल्ली के लिए चलती है। वहीं वंदे भारत ट्रेन का संचालन इंदौर और रीवा के लिए भी किया जाता है। ऐसे में शताब्दी और वंदे भारत से दिल्ली जाने वाले यात्री की संख्या लगभग आठ सौ से लेकर नौ सौ के बीच है। वहीं वंदे भारत से रीवा और इंदौर जाने वाले यात्री की संख्या लगभग सात सौ से आठ सौ के बीच है। जिसके कारण रोजाना लगभग 1600 यात्री सफर करते हैं।
समझें पानी का गणित
वंदे भारत में 530 सीट है। एक तरफ की यात्रा में रोजाना लगभग 400 यात्री सफर करते हैं। तो पहले चार सौ लीटर पानी रोज लगता था, लेकिन अब लगभग ढाई सौ लीटर पानी लग रहा है, ऐसे में पीने के पानी की बचत हो रही है। वहीं, शताब्दी में 500 सीटों की क्षमता है। रोजाना लगभग 400 यात्री यात्रा करते है तो इसमें भी लगभग ढ़ाई सौ लीटर पानी की खपत हो रही है।
इनका कहना है
रेलवे द्वारा पानी बचाने के लिए यह पहल पूरे देश के लिए की शुरू की है। भोपाल मंडल से चलने वाली शताब्दी और वंदे भारत में भी शुरू कर दी गई है, जिससे पानी की बचत होगी। यदि यात्री को अतिरिक्त पानी की जरूरत है, तो वह उसे उपलब्ध कराया जा रहा है।
नवल अग्रवाल, एसीएम एवं जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मंडल