Bhopal Railway News: रेलवे की अनदेखी से हजारों अप-डाउनर्स को गंवाना पड़ा रोजगार
ट्रेनों में सफर हेतु एमएसटी, सामान्य टिकट की बिक्री बंद। पैसेंजर ट्रेनों का संचालन बंद होना भी है वजह। अप-डाउनर्स प्रतिनिधियों ने सौंपा ज्ञापन।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Tue, 12 Oct 2021 04:14:03 PM (IST)
Updated Date: Tue, 12 Oct 2021 04:14:03 PM (IST)

Bhopal Railway News: भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। ट्रेनों में मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) और जनरल टिकट बंद होने से कामकाज के सिलसिले में डेली अप-डाउन करने वाले हजारों लोगों को रोजगार खोना पड़ा है। अब ऐसे लोग छोटा-मोटा व्यवसाय कर रहे हैं। कुछ तो अभी भी बेरोजगार हैं। ये अप-डाउनर् हैं जो बीना, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, पिपरिया, सीहोर समेत आसपास के क्षेत्रों से ट्रेनों के जरिए भोपाल आते थे। यहां छोटी-मोटी नौकरी करते थे और शाम को दूसरी ट्रेनों से वापस लौट जाते थे।
पिछले साल मार्च में कोरोना की दस्तक से पहले तक इनका कामकाज ठीक चल रहा था। जब कोरोना में ट्रेनें बंद की गईं तो इनका आना-जाना भी बंद हो गया। रेलवे ने धीरे-धीरे ट्रेनों को पुन: शुरू कर दिया, लेकिन अनेक पैसेंजर ट्रेनें अभी भी शुरू नहीं की गई हैं। इतना ही नहीं, ट्रेनों में सफर के लिए मासिक सीजन टिकट की बिक्री शुरू नहीं की है। जिसके कारण इन्हें ट्रेनों में चढ़ने नहीं दिया जा रहा है। चढ़ते हैं तो मूल किराया से कई गुना अधिक जुर्माना लग जाता है। यहां तक की ट्रेनों में सामान्य टिकट की बिक्री भी बंद कर दी है, रिजर्वेशन कराना पड़ता है जो अपडाउनरों के लिए रोज-रोज करा पाना आसान नहीं है। मासिक सीजन टिकट की तुलना में रिजर्वेशन कराना काफी महंगा भी पड़ता है। ज्यादातर अपडाउनर पैसेंजर ट्रेनों से आते-जाते थे जिन्हें कोरोना में बंद करने के बाद अब तक चालू नहीं किया गया है। जिसके कारण इन अप-डाउनर्स का शहर तक आना पूरी तरह बंद हो गया है। इनमें किसान, मजदूर, नौकरीपेशा से जुड़े लोग शामिल हैं।
रेलवे अप-डाउनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अरुण अवस्थी ने बताया कि विदिशा और बीना क्षेत्र से रोजाना 10 हजार से अधिक अप-डाउनर्स भोपाल आते थे। यहां नौकरी करते थे। इसमें वे खुद भी शामिल है। वे सुबह लैब से नमूने लेकर आते थे। शाम को जांच कराने के बाद वापस लौट जाते थे। इस तरह उनके सैंकड़ों परिचित दुकानों, कारखानों में काम करने के लिए भोपाल आते थे, जो कि ट्रेनों में एमएसटी बंद करने, पैसेंजर ट्रेनों का संचालन बंद करने के कारण नहीं आ पा रहे हैं। वे बताते हैं कि इस तरह होशंगाबाद, इटारसी, पिपरिया, हरदा, बैतूल क्षेत्र से भी रोजाना आठ से दस हजार अप-डाउनर विभिन्न ट्रेनों में बैठकर भोपाल आते थे। एसोसिएशन प्रतिनिधियों ने अनुमान जताया कि भोपाल से रोजाना 25 हजार से अधिक लोग नौकरी करने के लिए बीना, गुना, विदिशा, बैतूल, हरदा, होशंगाबाद, सीहोर, पिपरिया, इटारसी, घोड़ाडोंगरी, गंजबासौदा, मंडीबामोरा, गुलाबगंज जाते थे। ये लगभग सभी शासकीय नौकरी में हैं जो अब निजी साधनों से जा रहे हैं। कुछ तो मकान किराए से लेकर नौकरी स्थल या आसपास के जिला मुख्यालयों पर ही रहने लगे हैं। जबकि गांव, कस्बे व जिलों से भोपाल आने वाले अप-डाउनर निजी काम धंधे करते थे या प्राइवेट नौकरी में थे, जो निजी बसों का किराया वहन नहीं कर पा रहे हैं। मजबूरन उन्हें भोपाल में काम-धंधा छोड़ना पड़ा है। अरुण अवस्थी का कहना है कि इस तरह मप्र के सभी क्षेत्रों के अप-डाउनर्स को काउंट किया जाए तो हजारों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। बता दें कि एसोसिएशन के प्रतिनिधि इन सभी बातों को केंद्रीय रेल राज्यमंत्री, स्थानीय जनप्रतिनिधि और रेलवे के अधिकारियों के पास रख चुके हैं।