नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। जिसे कभी झीलों और शांति के लिए जाना जाता था, अब हत्या की वारदातों से सहम रहा है। बीते महीनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, शहर में इस वर्ष अब तक हत्या के 29 प्रकरण (Bhopal Crime News) दर्ज हुए हैं, यानी औसतन हर सातवें दिन एक व्यक्ति की हत्या हो रही है। यह आंकड़ा पिछले तीन वर्षों के औसत से कहीं अधिक है और राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
पुलिस रिकॉर्ड (Bhopal MP Crime News) और मामलों की पड़ताल बताती है कि इन हत्याओं के पीछे मुख्य रूप से प्रापर्टी विवाद, आपसी रंजिश, शराबखोरी, प्रेम प्रसंग और मामूली कहासुनी जैसे कारण रहे हैं। अधिकतर मामलों में आरोपित और पीड़ित एक-दूसरे को पहले से जानते थे, जिससे यह साफ होता है कि निजी दुश्मनी और तनाव सीधे खूनखराबे में बदल रहे हैं।
वारदातें सिर्फ पुराने शहर या बाहरी इलाकों तक सीमित नहीं हैं। ईंटखेड़ी, गुनगा, सूखी सेवनिया, बैरसिया, नजीराबाद जैसे बाहरी थाना क्षेत्रों के साथ-साथ कोलार, शाहपुरा और ऐशबाग जैसे शहरी इलाकों में भी खूनखराबा देखने को मिला है।
यह स्थिति दर्शाती है कि अपराध की पहुंच हर कोने तक है और कोई इलाका इससे अछूता नहीं। इधर पुलिस का कहना है कि सभी मामलों में तेजी से कार्रवाई की गई और अधिकांश मामलों में आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वारदातों की रफ्तार में कोई कमी नहीं आई है।
भोपाल में अब तक इस वर्ष में हत्या के जो मामले हुए हैं, इनमें से आधे मामले सिर्फ बीते दो महीने में सामने आए हैं। जनवरी से मई तक जहां हत्या के 15 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं जून के बाद से 14 केस अलग-अलग थानों में दर्ज किए जा चुके हैं।
हत्याओं के अधिकतम मामले आपसी रंजिश या मामूली विवाद के चलते हुए हैं। एकाध मामले के अलावा हत्या के प्रकरण बदमाशों से जुड़े नहीं हैं। इन घटनाओं को रोकने थाना स्तर पर बदमाशों की निगरानी की जा रही है। वहीं हत्या के मामलों में पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए आरोपितों को पकड़ा है। - हरिनारायणचारी मिश्र, पुलिस आयुक्त, भोपाल