Bhopal Tourism News: भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। राजधानी से मात्र 28 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले में स्थित भोजपुर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है। धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज का आर्किटेक्ट देखना हो तो आप भोजपुर जाइये। इसका नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है। बेतवा नदी के किनारे बसा हालांकि यह अधूरा शहर है, लेकिन प्राकृतिक खूबसूरती को समेटे यह स्थल देखने लायक है। यहां साल मकर संक्राति और शिवरात्रि पर यहां बड़ा मेला लगता है। शिवरात्रि पर शाम को संगीत संध्या का आयोजन भी मप्र संस्कृति विभाग द्वारा किया जाता है।
मंदिर पूर्ण रुपेण बन नहीं पाया था। यह मंदिर यदि पूरा हो जाता तो पूरे विश्व में इसकी अलग पहचान होती। इसका चबूतरा बहुत ऊंचा है, जिसके गर्भगृह में एक बड़े से पत्थर के टुकड़े का पॉलिश किया गया लिंग है, जिसकी ऊंचाई 38.5 है। इसे भारत के मंदिरों में पाए जाने वाले सबसे बड़े लिंगों में से एक माना जाता है। मंदिर में 40 फीट ऊंचे चार स्तंभ हैं। विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी, ऐसा मंदिर के आस-पास पड़ी चट्टनों पर उकेरे गए नक्शों से पता चलता है। इस मंदिर के अध्ययन से हमें भारतीय मंदिर की वास्तुकला के बारे में बहुत सी बातों की जानकारी मिलती है। भारत में इस्लाम के आगमन से भी पहले, इस हिंदू मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बना अधूरा गुंबदाकार छत भारत में गुंबद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करता है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुंबदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है। चूकि यह मंदिर ऊंचा है, निर्माण के दौरान भारी पत्थरों को ऊपर ले जाने के लिए ढलाने बनाई गई थीं। इसका प्रमाण भी यहां मिलता है।
बांध और सीता गुफा
यहां ग्यारहवीं शताब्दी की पर्याप्त बुद्धिमत्ता से निर्मित दो बांधों वाली विस्मयकारी संरचना है, जो बेतवा नदी का रुख मोड़ने और पानी को रोकने के लिए भारी पत्थरों से बनाई गई थी, जिनसे एक झील का निर्माण हुआ था। राजा भोज के शासनकाल के तहत बिना तराशे हुए बड़े पत्थरों की इमारत बनाने की एक प्राचीन शैली द्वारा (विशाल चिनाई) द्वारा निर्मित यह बांध अवश्य देखे जाने वाले स्थानों में से एक है, चाहे आप अचानक पहुंचने वाले पर्यटक हों या फिर वास्तुकला के पुजारी। इस प्राचीन शहर के दैत्य जैसे बांधों के अवशेष आपको आश्चर्य में डाल देंगे। अधूरा होने का तथ्य ही इस प्राचीन शहर को अनूठी गुणवत्ता प्रदान करता है, उन चट्टानी खदानों में जाना बहुत ही रोमांचकारी होता है, जहां आप हाथ से तराशे गए पत्थर के मूर्ति शिल्प को देख सकते हैं जो कभी एक पूरे मंदिर या महल का रूप नहीं ले पाए। भोजपुर के पर्यटन स्थलों में एक और आश्चर्य है अधूरा जैन मंदिर जो अभी तक पूरा नहीं किया गया।
ऐसे पहुंचे भोजपुर
भोपाल से 28 किलोमीटर दूर होशंगाबाद रोड पर स्थित भोजपुर सभी परिवहन माध्यमों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। समीपस्थ रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट भोपाल है, जबकि बस स्टैंड भोजपुर ही है। पर्यटक, पर्यटन टैक्सी सेवा और स्थानीय बस सेवाएं भी ले सकते हैं। यहां सुबह सात बजे से शाम छह बजे भ्रमण किया जा सकता है। सड़क परिवहन से भोपाल से भोजपुर जाने में 35 मिनट का समय लगता है।