Bhopal में नसबंदी कराते समय महिला की संदिग्ध मौत का मामला, 18 महीने से न्याय के लिए दर-दर भटक रहा पति
काटजू अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान महिला की संदिग्ध मौत को 18 महीने बीत गए, लेकिन पुलिस अभी तक चालान तक तैयार नहीं कर सकी है। पति अविनाश गौर न्याय के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस आरोपितों तक नोटिस नहीं पहुंचा पाई है और जांच में देरी जारी है।
Publish Date: Thu, 27 Nov 2025 07:55:20 AM (IST)
Updated Date: Thu, 27 Nov 2025 08:02:25 AM (IST)
भोपाल में नसबंदी के लिए गई महिला की संदिग्ध मौत। (फाइल फोटो)HighLights
- नसबंदी ऑपरेशन में महिला की संदिग्ध मौत।
- पति कोर्ट में न्याय की लंबी लड़ाई।
- पुलिस की देरी, आरोपितों को नोटिस लंबित।
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। काटजू अस्पताल में नसबंदी के लिए भर्ती हुई महिला की संदिग्ध मौत के 18 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उसका पति अब भी केस को न्यायालय की दहलीज तक ले जाने की लड़ाई लड़ रहा है। महिला की मौत के बाद से अस्पताल के अधिकारी, मेडिकल आफिस और फिर पुलिस का रवैया उदासीन रहा है।
पति की शिकायत पर पहले तो पुलिस ने केस दर्ज करने से ही इनकार कर दिया, लेकिन छह महीने तक पति ने कोर्ट में न्याय की लड़ाई लड़ी। कोर्ट ने एफआइआर के आदेश दिए तो 11 महीने बाद तक पुलिस आरोपी ही तय नहीं कर पाई, जिससे चालान तैयार नहीं हो सका है। ऐसे में पति अपनी पत्नी की मौत के न्याय को पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर है।
ये है पूरा मामला
- विद्यानगर निवासी व्यापारी अविनाश गौर सिवनी मालवा जिले के रहने वाले हैं। उनकी पत्नी रीना गौर 14 मई 2024 को नसबंदी के आपरेशन के लिए टीटीनगर स्थित काटजू अस्पताल में भर्ती हुई थीं। आपरेशन से पहले उनकी सभी जरुरी मेडिकल जांचें की गई थीं।
- दोपहर करीब एक बजे जब रीना को आपरेशन थियेटर ले जाया गया, तो अविनाश अपनी छह वर्षीय बेटी और चार साल के बेटे को घर छोड़ने के लिए आए। कुछ देर बाद उन्हें अस्पताल से फोन कर तुरंत बुलाया गया। वे वापस पहुंचे तब तक रीना की मौत हो चुकी थी, लेकिन डॉक्टरों ने जबरन हड़बड़ी में उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिए।
पत्नी की मौत के तुरंत बाद अविनाश ने टीटीनगर पुलिस को सूचना दी तो उन्होंने बागसेवनिया थाने भेजा। वहां जाने पर दोबारा टीटीनगर भेजा गया। पुलिस ने किसी तरह पोस्टमार्टम करवाया, लेकिन वहां भी अस्पताल की मिलीभगत रही। मेडिकल आफिसर ने बिसरा परीक्षण के लिए रखा ही नहीं, जिससे की मौत के स्पष्ट कारणों का पता चल सके। बाद में पीएम रिपोर्ट आई, तो उसमें भी साफ वजह नहीं बताई गई। अविनाश ने इसे जानने के लिए कई आरटीआई भी लगाईं, लेकिन जवाब नहीं मिला।
अविनाश बताते हैं कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कोर्ट में परिवाद दायर किया था। कोर्ट ने आपरेशन करने वालीं एमबीबीएस डाक्टर सुनंदा जैन, अस्पताल के अधीक्षक कर्नल प्रवीण सिंह, मेडिकल आफिसर केलू ग्रेवाल, अस्पताल का पैरा मेडिकल स्टाफ और निश्चेतना विशेषज्ञ लैब तकनीशियन को आरोपित बनाया।
पुलिस ने जनवरी माह में इनके विरूद्ध केस भी दर्ज कर लिया था, लेकिन 11 महीने बीत जाने के बावजूद डाक्टर सुनंदा को छोड़कर किसी भी आरोपित को नोटिस तक नहीं पहुंचाया। एसआई ने बताया जांच में देरी का कारण
जांच कर रहे टीटीनगर थाने के एसआइ प्रीतम सिंह ने कहा कि कर्नल प्रवीण स्वास्थ्य कारणों के चलते अक्सर दिल्ली में रहते हैं, जिससे उन तक नहीं पहुंच सके। केलू ग्रेवाल को आरोपी बनाने से पहले मेडिकल बोर्ड से पत्राचार होना था, लेकिन वहां पत्र लिखने के बाद से कोई उत्तर नहीं मिला है।
अस्पताल के विभाग का पैरा मेडिकल स्टाफ और लैब में उस दिन कौन-कौन शामिल था। इसकी जांच अब तक नहीं हो पाई है।
जल्द जांच कर न्यायालय में करेंगे प्रस्तुत
पुलिस ने मेडिकल आफिसर की भूमिका की जांच को लेकर मेडिकल बोर्ड को पत्र लिखा है। इसके अलावा अन्य आरोपितों की जांच भी अलग-अलग स्तर पर चल रही है, जल्द ही चालान तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। अंकिता खातरकर, एसीपी टीटीनगर