राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। किसानों के दबाव में मध्य प्रदेश सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 68,604 टन ग्रीष्मकालीन मूंग अधिक खरीद तो ली, पर यह डर सता रहा था कि इसे भारत सरकार ने सेंट्रल पूल में ना लिया तो इसका वित्तीय भार भी प्रदेश के ऊपर आएगा। अब भारत सरकार ने बड़ी राहत देते हुए निर्णय लिया है कि लक्ष्य से जो अधिक मूंग का उपार्जन किया गया है, उसे भी सेंट्रल पूल में लिया जाएगा। इस तरह डबल इंजन की सरकार का लाभ मध्य प्रदेश को मिला है। इससे करीब छह सौ करोड़ रुपये की बचत होगी। किसानों को भुगतान भी इसी राशि से किया जाएगा।
प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती को हतोत्साहित करने के लिए पहले सरकार ने समर्थन मूल्य (8,682 रुपये प्रति क्विंटल) पर उपार्जन नहीं करने का मन बनाया था। इससे किसान परेशान हो रहे थे और जगह-जगह आंदोलन शुरू हो गया। भारतीय किसान संघ और कांग्रेस ने भी समर्थन कर दिया। किसानों के दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने अंतत: ग्रीष्मकालीन मूंग के उपार्जन का प्रस्ताव भारत सरकार को दिया। कृषि मंत्रालय ने 3.51 लाख टन का लक्ष्य निर्धारित किया। इतना ही लक्ष्य राज्य सरकार ने अपनी ओर से रखा।
समर्थन मूल्य पर मूंग बेचने के लिए 2,94,488 किसानों ने पंजीयन कराया। इनमें से 2,74,775 किसानों ने मूंग बेची, लेकिन मात्रा लक्ष्य से अधिक हो गई। उपार्जन 7,72,433 टन हुआ। इसमें से 3,51,088 टन सेंट्रल पूल में लेने की सहमति कृषि मंत्रालय ने पहले ही दे दी थी, लेकिन जो अधिक मूंग उपार्जित की गई, उसे लेकर सरकार परेशान थी, क्योंकि इसे प्रदेश को रखना पड़ता तो लगभग छह सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आता।
40 प्रतिशत उत्पादन लेने का दिया था प्रस्ताव
प्रदेश सरकार के हिसाब से ग्रीष्मकालीन मूंग का क्षेत्रफल 15.20 लाख हेक्टेयर गिरदावरी रिपोर्ट में दर्ज किया गया है। 1,410 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के आधार पर उत्पादन 21.43 लाख टन संभावित बताया था। इसके 40 प्रतिशत के हिसाब से 8.57 लाख टन का उपार्जन भारत सरकार करे, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। भारत सरकार ने प्रदेश में 12.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 1,129 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के आधार पर 14.25 लाख टन उत्पादन का मान्य किया। इसके 25 प्रतिशत के हिसाब से 3.51 लाख टन का उपार्जन लक्ष्य दिया, लेकिन उपार्जन अधिक हुआ।
5,691 करोड़ का हुआ भुगतान
किसानों को मूंग उपार्जन के ऐवज में अब तक 5,691 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। 305 करोड़ रुपये का भुगतान खाता संख्या गलत होने या तकनीकी कारणों से असफल हो गया, जिसे फिर किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा लक्ष्य में वृद्धि के बाद अब शेष राशि का भुगतान भी जल्द होगा।