नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। प्रदेश के कुछ शूटिंग खिलाड़ियों के नाम पर हथियार विक्रेताओं से सांठगांठ कर कारतूस खरीदी में खेल हो गया है। आशंका है कि उनके कोटे पर खरीदे गए कारतूस का बड़ा हिस्सा कालाबाजारी में बेच दिया गया है। इसकी जानकारी आने के बाद प्रशासन के कान खड़े हो गए। अब वह पूरे मामले की जांच कर रहा है।
बताया जा रहा है कि हथियार विक्रेताओं के रिकॉर्ड की जांच के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को कारतूसों की बिक्री के रिकॉर्ड में जालसाजी की आशंका हुई। उसके बाद इस मामले की जांच शुरू की गई। दो दिन पहले बैरागढ़ एसडीएम रविशंकर राय के साथ पहुंची टीम ने सैफिया कॉलेज स्थित शाह आर्मरी का रिकॉर्ड खंगाला। पता चला कि संचालक ने रजिस्टर में बेचे गए कारतूस की आधी-अधूरी जानकारी दर्ज की है। रिकॉर्ड में कई जगह पर लाइसेंस नंबर और मोबाइल नंबर गायब हैं। इसी तरह अन्य हथियार विक्रेताओं की भी जांच की जा रही है।
बताया जा रहा है कि शूटिंग के प्रादेशिक, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अभ्यास और स्पर्धा के लिए सालाना डेढ़ लाख कारतूस खरीदने की अनुमति है। हथियार विक्रेताओं और अवैध रूप से कारतूस आपूर्ति करने वाले सिंडिकेट ने इसी कोटे का इस्तेमाल कर पूरी गड़बड़ी की है। खिलाड़ियों के नाम पर कारतूस कागजों में ही बेचे गए, जिन्हे बाद में दूसरे लोगों को महंगे दाम पर बेचा गया।
हथियार विक्रेताओं के रिकार्ड जांचे जा रहे हैं। जांच के बाद तस्वीर साफ होगी। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। - कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर
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