
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। कभी आपने सोचा है कि अपने आसपास अक्सर दिख जाने वाली चुलबुली सी बुलबुल काफी आक्रामक होती है। जी हां, यह जहां भी जाती हैं, वहां अपना कब्जा जमा लेती हैं, यह अन्य पक्षियों पर अपना रौब जमाती हैं। यह दूसरे पक्षियों के घोंसले पर भी कब्जा जमा लेती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह स्वभाव से बेहद आक्रामक होती है। विज्ञानी इसे दुनिया की तीसरी सबसे आक्रामक पक्षी बता रहे हैं। पहले स्थान पर यूरोपियन स्टर्लिंग और दूसरे पर सामान्य मैना यानी एक्रिडोथेरेस ट्रिस्टिस को रखा गया है।
बुलबुल के बारे में यह जानकारी उसके जीनोम विश्लेषण में सामने आई है। उसकी संपूर्ण आनुवंशिक जानकारी जुटाने के लिए यह अध्ययन भोपाल स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आइसर) के विज्ञानियों ने किया है। लाल पेट वाली बुलबुल के जीनोम सिक्वेंसिंग पर यह दुनिया का पहला अध्ययन बताया जा रहा है।
आइसर के विज्ञानियों का कहना है कि इस पक्षी के आक्रामक व्यवहार के पीछे के आनुवांशिक कारणों को समझने में यह जीनोम अनुक्रम उपयोगी साबित हुआ है। यह अध्ययन बुलबुल की प्रजातियों के बीच आनुवांशिक भिन्नता और संबंध को समझने में मददगार साबित होगा, इसके साथ ही इस पक्षी के संरक्षण में भी उपयोगी होगा। आइसर के बॉयोलाजिकल साइंसेज विभाग के प्रोफेसर विनीत के. शर्मा और शोधार्थी मार्टिन अब्राहम, पुथुमाना, मनोहर एस. बिष्ट व मिताली सिंह ने मिलकर इस जीनोम अनुक्रम पर काम किया है।
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि पहली बार बुलबुल के माइटोकांड्रियल जीनोम और मार्कर जीन का अनुक्रमण किया गया है। माइटोकोंड्रिया को कोशिका का पावरहाउस कहते हैं, क्योंकि यह कोशिका के विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा उत्पन्न करता है। माइटोकांड्रियल जीनोम में 37 जीन होते हैं।
यह कोशिका के केंद्रक में मौजूद मुख्य जीनोम से अलग होता है, जिसमें हजारों जीन होते हैं। इसके अनुक्रम से आनुवांशिकी का पता चलता है। वहीं मार्कर जीन डीएनए का एक छोटा सा खंड है। इससे इस पक्षी की वंशावली और व्यवहार के अध्ययन करने का एक नया रास्ता खुला है।