Transfer in MP: एमपी में 9 साल बाद सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ, सामने आया हर श्रेणी का फार्मूला
Cabinet Meet in Madhya Pradesh: एससी-एसटी वर्ग के लिए पहले की तरह 36 प्रतिशत पद सुरक्षित रहेंगे तो अनारक्षित पदों पर पदोन्नति के लिए सभी वर्गों के अधिकारी-कर्मचारी पात्र होंगे। पहले आरक्षित वर्ग के पदों के लिए डीपीसी होगी। यह इस बार दो वर्ष में रिक्त होने वाले पदों के लिए एक साथ होगी।
Publish Date: Tue, 17 Jun 2025 09:20:36 AM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Jun 2025 02:12:26 PM (IST)
मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सौगात।HighLights
- नौ साल से रुकी थी पदोन्नति, सामान्य प्रशासन विभाग ने भेजा था प्रस्ताव
- 36% पद एससी-एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित रखे जाने का है प्रावधान
- अनारक्षित पदों पर पदोन्नति के लिए हर वर्ग के कर्मचारी होंगे पात्र
राज्य ब्यूरो, भोपाल (Cabinet Meet in Madhya Pradesh): मध्य प्रदेश में नौ साल से बंद शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति (Promotion) की राह खुल गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके नए नियम तैयार कर लिए थे, जिन्हें मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने मंजूरी दे दी।
इसमें एक साथ दो साल के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक करके पात्रों की सूची तैयार करने, एससी-एसटी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए 36 प्रतिशत पद सुरक्षित रखने, पहले एससी-एसटी के पदों पर पदोन्नति करने और अनारक्षित पदों पर सबको अवसर देने जैसे प्रावधानों को मंजूरी मिल गई है।
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पहले टलता रहा… फिर मोहन सरकार ने दिखाई दृढ़ इच्छा शक्ति
- हाई कोर्ट जबलपुर ने 2016 में मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को निरस्त कर दिया था। तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। नियम नहीं होने के कारण इस अवधि में करीब एक लाख अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए।
- शिवराज, कमल नाथ और फिर शिवराज सरकार ने नए नियम बनाने के प्रयास भी किए पर एक राय ही नहीं बनी, जिसके कारण मामला अटका हुआ था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई।
- मुख्य सचिव अनुराग जैन की देखरेख में सामान्य प्रशासन विभाग ने विभिन्न न्यायालयों के दिशा-निर्देश की रोशनी में पुराने सभी परिपत्रों का अध्ययन करवाकर सामान्य और एससी-एसटी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके नियम के प्रारूप तैयार किए।
इन्हें कैबिनेट की सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। सूत्रों का कहना है कि इसमें जो प्रावधान किए गए हैं, उससे दोनों वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी पूरी तरह संतुष्ट तो नहीं है लेकिन कोई और विकल्प भी नहीं है। यहां भी क्लिक करें - मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं मोहन यादव, पूर्व मंत्रियों को अपने नंबर का इंतजार
- प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति के लिए योग्यता से वरिष्ठता का रहेगा मापदंड
- चतुर्थ श्रेणी के लिए अंकों की व्यवस्था नहीं होगी, केवल पदोन्नति के लिए उपयुक्त होने पर ही पदोन्नति प्राप्त हो सकेगी।
- नए नियम में परिभ्रमण की व्यवस्था समाप्त की गई है। इससे पदोन्नति के लिए अधिक पद उपलब्ध होंगे।
- किसी वर्ष में 6 माह का ही गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध होने पर उसे पूर्ण वर्ष के लिए मान्य किया जाएगा।
- यदि गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं है तो पदोन्नत होने पर पूरी वरिष्ठता दी जाएगी।
- अप्रत्याशित रिक्ति को चयन सूची प्रतीक्षा सूची से भरा जाएगा।
- प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए अधिकारियों कर्मचारियों के पद के विरुद्ध पदोन्नति की जाएगी।
- गोपनीय प्रतिवेदन की अनुपलब्धता होने पर भी पदोन्नति नहीं रुकी जाएगी।
- केवल कारण बताओं नोटिस के आधार पर बंद लिफाफा नहीं रखा जाएगा।
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