भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि), Bhopal News। भोपाल में रहने वाली 30 साल की एक महिला को कोरोना के लक्षण थे। उसने पति से इलाज कराने की गुहार लगाई तो पति ने डॉक्टर के पास ले जाने की जगह उसे एक कमरे में बंद कर दिया। पति को आशंका थी कि उसे कमरे में बंद नहीं किया तो दूसरे लोग भी उससे संक्रमित हो सकते हैं। महिला ने गौरवी के हेल्पलाइन नंबर पर मदद मांगी। गौरवी की काउंसलर और पुलिस महिला के घर पहुंची। उसे अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया। यह तो एक मामला है। लॉकडाउन के दौरान शहर में घरेलू हिंसा के इस तरह के कई मामले सामने आए।
जेपी अस्पताल परिसर में स्थित गौरवी केंद्र (सखी) की रिपोर्ट में सामने आया है कि लॉकडाउन के पहले की तुलना में बाद में भोपाल में घरेलू हिंसा के करीब तीन गुना मामले बढ़े हैं। बता दें कि हिंसा पीड़ित महिलाओं को कानूनी, मनौवैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी सलाह देने के लिए प्रदेश का यह पहला केंद्र है।
कोरोना के पहले हर महीने घरेलू हिंसा करीब 60 मामले आ रहे थे। फोन पर या फिर खुद केंद्र पहुंचकर महिलाएं शिकायत करती थीं। कोरोना संक्रमण के बाद लॉकडाउन होने पर गौरवी के हेल्पलाइन नंबर पर 22 मार्च से 31 मई के बीच 358 महिलाओं ने शिकायत की। इसके अलावा इस दौरान संपत्ति विवाद के 21, भोजन की व्यवस्था नहीं होने की 500 शिकायतें आईं। गौरवी की कोऑर्डिनेटर शिवानी सैनी ने बताया कि पीड़िताओं में कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो पहले से ही गौरवी में घरेलू हिंसा की शिकायत कर चुकी थीं। लॉकडाउन के दौरान उन पर फिर हिंसा हुई।
इसलिए बढ़े हिंसा के मामले
गौरवी केंद्र के संचालन में राज्य सरकार के साथ सहयोगी एक्शन एड की नेशनल डायरेक्टर पॉलिसी एवं कम्युनिकेशन सारिका सिन्हा ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस भी कानून व्यवस्था में लग गई। ऐसे में हिंसा करने वालों को पुलिस का डर भी नहीं था। इसके अलावा परिवहन के साधन बंद होने से महिलाएं कहीं शिकायत के लिए नहीं जा सकती थीं। उन्होंने बताया कि महिलाओं के पति का रोजगार छिन गया, तो वह पत्नी पर कमाने का दबाव बनाने लगे।