मप्र फार्मेसी काउंसिल ऑफिस में अफरा-तफरी, रजिस्ट्रेशन के लिए लंबी कतारें, अधिकारी ही नदारद
एक आवेदक ने कहा कि मैंने अपनी फार्मेसी की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब नौकरी ढूंढ रहा हूं। लेकिन पंजीयन न होने के कारण मैं कहीं भी आवेदन नहीं कर पा रहा हूं। दो महीने से ज्यादा हो गए हैं, मैं लगातार यहां आ रहा हूं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
Publish Date: Mon, 19 May 2025 07:44:09 PM (IST)
Updated Date: Mon, 19 May 2025 08:01:27 PM (IST)
अध्यक्ष के कक्ष के बाहर जानकारी प्राप्त करते आवदेक। सौ नवदुनिया।HighLights
- दो महीने से अटके हैं पंजीयन।
- 4 हजार से ज्यादा आवेदक परेशान।
- काउंसिल में नहीं मिले जिम्मेदार।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। फार्मासिस्ट बनने का सपना लिए युवा जब मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल के दफ्तर पहुंचे तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी। काउंसिल में फार्मेसी पंजीयन के लिए रोजाना सैकड़ों की संख्या में आवेदक पहुंच रहे हैं, लेकिन ना तो रजिस्ट्रार मिले और ना ही काउंसिल अध्यक्ष। नवदुनिया की टीम ने बुधवार सुबह करीब 11 बजे आन द स्पाट स्थिति देखी, जहां पंजीयन कराने पहुंचे युवा बाहर लाइन में खड़े थे और दफ्तर के अंदर अधिकारी कुर्सियों से नदारद।
यह स्थिति कोई एक दिन की नहीं है। जांच में सामने आया कि पिछले दो महीनों से फार्मेसी पंजीयन की प्रक्रिया ठप पड़ी है। इस वजह से लगभग चार हजार से ज्यादा आवेदकों के रजिस्ट्रेशन अटके हुए हैं। कई आवेदकों ने बताया कि वे हफ्तों से बार-बार आ रहे हैं, लेकिन हर बार कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता।
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आवेदकों में नाराजगी और निराशा
- लाइन में खड़े आवेदकों में भारी नाराजगी और निराशा देखने को मिली।
- कई युवा ऐसे थे, जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है।
- अब पंजीयन न होने के कारण नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
- उनका कहना था कि वे बार-बार काउंसिल के दफ्तर आ रहे हैं।
- लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।
- कुछ आवेदकों ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि अधिकारी मौजूद नहीं हैं।
- या फिर तकनीकी कारणों से काम रुका हुआ है।
आवेदक हो रहे परेशान
- एक आवेदक ने कहा कि मैंने अपनी फार्मेसी की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब नौकरी ढूंढ रहा हूं।
- लेकिन पंजीयन न होने के कारण मैं कहीं भी आवेदन नहीं कर पा रहा हूं।
- दो महीने से ज्यादा हो गए हैं, मैं लगातार यहां आ रहा हूं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
- एक महिला आवेदक ने कहा कि हम दूर गांव से आते हैं।
- और यहां आने में काफी पैसा और समय खर्च होता है।
- लेकिन यहां आकर पता चलता है कि अधिकारी ही नहीं हैं। यह बहुत ही निराशाजनक है।
दफ्तर की ये है स्थिति
- काउंसिल के रजिस्ट्रार और अध्यक्ष के कमरे में ताले लटके थे।
- स्टाफ की भी उपस्थिति सीमित थी।
- पंजीयन प्रक्रिया से जुड़े काउंटरों पर स्पष्ट सूचना तक नहीं थी कि कब काम शुरू होगा।
- न तो किसी हेल्प डेस्क की सुविधा थी और न ही शिकायत दर्ज करने की कोई व्यवस्था।