नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। महादेव एप की तर्ज पर ऑनलाइन सट्टा लगवाने वाले रुद्र डायमंड बैटिंग एप के बुकी और उसके छह साथियों को अयोध्यानगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना 28 वर्षीय अरुण वर्मा छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में बतौर डिलेवरी ब्वॉय काम करता था। उसने करीब छह महीने पहले दुबई में बैठे सट्टा कारोबारी मोहित मोटवानी से रुद्र डायमंड बैटिंग एप की आईडी 35 प्रतिशत कमीशन पर ली थी।
अरुण ने भोपाल में अपने रिश्तेदार और दोस्तों के साथ भोजपुर रोड स्थित आरआरजी टाउनशिप के एक फ्लैट और कार में सट्टे का सेटअप जमाया और करोड़ों का दांव लगवा रहा था। रविवार को एशिया कप फाइनल में भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान पुलिस ने दबिश देकर गिरोह को पकड़ा। उनके कब्जे से 40 मोबाइल, 80 सिम, 177 एटीएम कार्ड, पांच लैपटॉप, दो कार और 3.54 लाख रुपये नकदी समेत लगभग 50 लाख रुपये का माल जब्त किया गया।
दुबई कनेक्शन और ऑनलाइन सेटअप
एसीपी मनीष भारद्वाज के अनुसार, अरुण वर्मा लंबे समय से सट्टा कारोबार में सक्रिय था। टेलीग्राम के जरिए उसका संपर्क दुबई के सट्टा कारोबारी से हुआ। कारोबारी ने उसे 35 प्रतिशत कमीशन पर एडमिन लॉग-इन आईडी और ऑपरेट करने का वीडियो ट्यूटोरियल दिया। आईडी में पहले से 50 ग्राहक जुड़े थे। ग्राहक दांव लगाने से पहले म्यूल बैंक खातों में राशि ट्रांसफर करते और उसके बदले बैटिंग एप पर प्वाइंट्स मिलते, जिनसे क्रिकेट, कलर ट्रेडिंग, रमी और 50 से ज्यादा गेम्स पर सट्टा लगाया जाता।
फायदे में 35 प्रतिशत कमीशन अरुण और उसके साथी रखते, जबकि 65 प्रतिशत राशि दुबई संचालक तक कभी म्यूल बैंक खातों और कभी नकदी के जरिए पहुंचाई जाती थी।
मैच पर करोड़ों का दांव और कैश मशीन
दबिश के दौरान पुलिस को भारत-पाक एशिया कप फाइनल मैच पर 10 लाख रुपये का लेनदेन मिला। डायरी में सिर्फ एशिया कप का 20 लाख रुपये से ज्यादा का हिसाब दर्ज था। पिछले मैच में ही छह लाख रुपये का सट्टा खिलाया गया था। बुक कॉपी से चार महीने में 1.5 करोड़ रुपये का हिसाब मिला। कैश लेन-देन का अंदाजा इस बात से लगाया गया कि गिरोह कैश काउंटिंग मशीन भी साथ रखता था, जिसे पुलिस ने जब्त किया।
पुलिस की कार्रवाई
थाना प्रभारी महेश लिल्हारे ने बताया कि दबिश के बाद आरोपी म्यूल बैंक खातों से राशि यूपीआई के जरिए दूसरे खातों में ट्रांसफर करने लगे, लेकिन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए करीब 15 लाख रुपये फ्रीज कराए। मिनाल स्थित कार और भोजपुर रोड के फ्लैट से 3.50 लाख रुपये नकदी बरामद हुई।
गिरोह का नेटवर्क
अरुण का रिश्तेदार 33 वर्षीय डिगेश्वर प्रसाद वर्मा (भाटापारा, छग निवासी) मंडीदीप की एक फैक्ट्री में काम करता था। दोनों ने भोपाल में छह महीने पहले सेटअप जमाया। इसमें छग के ही सुनील वर्मा (35), गोपी माणिकपुरी (23) और तरुण वर्मा (24) को शामिल किया। वहीं पड़ोस के फ्लैट में रहने वाले छात्र दिव्यांशु पवार और अंकित दास (छिंदवाड़ा निवासी) को भी जोड़ लिया। सभी को योग्यता के हिसाब से अलग-अलग काम बांटे गए थे और उन्हें हर महीने कम से कम 50 हजार रुपये मिलते थे।