
Chitrakoot Ganga Aarti: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मंदाकिनी गंगा के नाम से प्रसिद्ध चित्रकूट की मंदाकिनी नदी के विश्राम घाट पर 125 दिनों से नियमित गंगा आरती की जा रही है। वैसे तो आरती के नियमित आयोजन का जिम्मा नगर परिषद का है, पर आमदनी कम होने के कारण परिषद व्यवस्था नहीं कर पा रही है। राज्य सरकार ने मठ-मंदिरों से सहयोग का आह्वान किया और वे जिम्मेदारी उठाने के लिए सहर्ष तैयार भी हो गए। अब सरकार की कोशिश है कि रामनवमी पर शुरू हुई यह परंपरा बनी रहे। सरकार ने मठ परिसरों से निकलकर मंदाकिनी में गिरने वाले सीवेज को रोकने का भी आह्वान किया है। जिसके सफल परिणाम यह हैं कि मंदाकिनी अब स्वच्छ हो चली हैं। यहां मध्य प्रदेश की सीमा में 50 से अधिक मठ हैं।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अप्रैल 2022 को रामनवमी का पहला त्योहार था। पूरे देश में उत्साह था, तो मध्य प्रदेश सरकार ने भी प्रदेश के सभी पवित्र स्थानों पर दीपदान का आयोजन किया। रामलला की नगरी ओरछा दीपों से जगमगाई, तो चित्रकूट में भी दीपदान हुआ। घाट दीपकों से जगमगा गए। उल्लेखनीय है कि चित्रकूट में श्री राम ने वनवास का सर्वाधिक समय गुजारा था। रामनवमी से ही विश्राम घाट पर संख्या आरती की परंपरा शुरू हो गई है। छह पुरोहित रोज शाम वाराणसी की तर्ज पर आरती करते हैं। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्घालु शामिल होंगे। जबकि उत्तर प्रदेश की सीमा में स्थित रामघाट पर भी नियमित आरती की जाती है।
नई परिषद लेगी आरती को लेकर फैसला
विश्राम घाट पर सरकारी तौर पर आरती के संचालन को लेकर नई नगर परिषद निर्णय लेगी। परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विशाल सिंह बताते हैं कि आरती करने वाले पुरोहितों का मानदेय और आरती पर होने वाले अन्य खर्चों को लेकर परिषद निर्णय लेगी। दरअसल, पुरोहित मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उन्हें वर्तमान में तीन हजार रुपये महीना दिया जा रहा है। वहीं घी, बाती और प्रसाद पर भी राशि खर्च होती है। इस तरह प्रत्येक माह 45 से 50 हजार रुपये खर्च होते हैं। परिषद छोटी है। आमदनी है नहीं। इसलिए फिलहाल परिषद यह खर्च नहीं उठा पा रही है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में साधना पटेल चित्रकूट नगर परिषद की अध्यक्ष चुनी गई हैं।
नगर परिषद पर हमारे द्वारा आर्थिक बोझ नहीं डाला गया है। राज्य सरकार आरती के संचालन में मदद कर रही है। हमने मठों से भी सहयोग मांगा था, अब वे ही आरती करा रहे हैं। -उषा ठाकुर, मंत्री, संस्कृति विभाग