-मप्र 51 जिलों की कहानी, वहां के बाशिंदों की जुबानी
भोपाल। नवदुनिया रिपोर्टर
विश्व पर्यटन दिवस के उपलक्ष्य पर सिविल सर्विसेज क्लब द्वारा गुरुवार से दो दिवसीय कार्यक्रम 'मध्यप्रदेश नामा' का आयोजन हुआ। इसमें भोपाल के युवाओं को मध्यप्रदेश के सभी 51 जिलों की कहानी सुनाई जा रही है। खास बात यह है कि हर जिले की कहानी उस जिले से आया कोई युवा प्रतिनिधि ही सुना रहा है। युवाओं को मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना व भविष्य के मध्यप्रदेश के लिए एक दृष्टि देना है। मध्यप्रदेश नामा के पहले दिन आज भोपाल,ग्वालियर,नर्मदापुरम,चंबल व इंदौर संभागों की प्रस्तुतियां हुईं। इन जिलों से आए युवाओं ने सबको अपने जिले के इतिहास,वहां के पर्यटक स्थलों,वहां के खान-पान, त्योहारों और खूबियों से परिचित कराया। दो दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति देने वाले को 6000 रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
-पता चलीं कुछ रोचक बातें
- रायसेन के गोरखपुर के पास 'चीन की दीवार' के बाद दुनिया की सबसे बड़ी दीवार बनाई गई थी, जिसके कुछ अवशेष अभी भी मौजूद हैं (रोहन दुबे ने बताया)
- मराठा पेशवा बाजीराव ने सीहोर में एक भविष्य गणेश मंदिर बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन वे गणेश प्रतिमा को उसके वर्तमान स्थल से टस से मस नहीं कर पाए (कुनाल दीक्षित ने बताया)
- आज विदिशा हैं वहां पहले दो शहर थे। बेतवा के पश्चिमी तट पर बेसनगर व पूर्वी तट पर भिलसा। (उपेंद्र सिंह राजपूत ने बताया)
- चंदेरी पर आक्रमण करने के लिए बाबर ने एक ही रात में 80 फीट ऊंची एक पहाड़ी को काटकर रास्ता बनाया था, जिसे वहां आजकल कटी पहाड़ी कहते हैं (गौरव राजा परमार ने बताया )
- शिवपुरी पहले सिंधिया वंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी था, क्योंकि ये जगह बहुत ठंडी होती थी , बहुत पहले यहां बर्फबारी भी हुआ करती थी (प्रबल अग्रवाल ने बताया)
- दतिया को छोटा वृन्दावन भी कहा जाता है, यहां पर 16 वीं सदी की एक सात मंजिला महल मौजूद है (अभिनव प्रजापति ने बताया)
गुना शहर का पूरा नाम है- ग्वालियर यूनाईटेड नेशनल आर्मी। गुना असल में कभी सिंधिया राजघराने का सैन्य मुख्यालय हुआ करता था।
- अकबर के नवरत्नों में से एक 'मुल्ला-दो-प्याजा' हरदा में दफन हैं
- ईंट और रस्सी के व्यापार का केंद्र होने के कारण 'इटारसी' को अपना नाम मिला (अनुराग दुबे ने बताया)
- राम प्रसाद बिस्मिल की याद में मुरैना में एक शहीद मंदिर है और हर साल एक शहादत मेला लगता है क्योंकि राम प्रसाद बिस्मिल के पूर्वज यहीं के थे।
- भारतीय संसद का डिजाइन मुरैना के 'चौसठ योगिनी मंदिर' से प्रेरित है
- जो जगह नीम के पार स्थित थी उसे निमाड़ कहा गया।
- 15 वीं शताब्दी में अलीराजपुर में एक राजा थे जिंका नाम था।